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Pussy cat

Pussy Cat

Pussy cat, pussy cat, 

Where have you been?

“I’ve been to London to 

Look at the Queen.”

Pussy cat, pussy cat, 

What did you there?

“I frightened a little mouse 

Under the chair.”

अरे! भई! यह pussy cat की poem न याद की जा रही है.. और न ही करवाई जाएगी। बात दअरसल यह है.. कि आज छत्त पर न जाने कहाँ से बिल्ली आकर बैठ गयी थी.. बस! बिल्ली से साक्षात्कार होते ही हमारा तो चीख-चीख कर बुरा हाल हो गया था। जैसे बिल्ली न होकर शेर से मुलाकात हो गयी हो।

बिल्ली कोई पहली दफा थोड़े ही देख रहे थे.. अरे! घर में जब छोटे हुआ करते थे.. तो प्यारा सा बिल्ली का बच्चा जिसका नाम.. विक्की था.. हमनें पाला हुआ था।

बहुत ही प्यारा हल्के सुनहरे रंग का था.. गर्दन पर सफ़ेद गोल माला सी थी। 

सबका लाडला था.. विक्की! हमसे पहले सवेरे माँ विक्की को ही अंडे और ब्रेड के छोटे-छोटे टुकड़े कर.. नाश्ता परोसा करतीं थीं। और खाता भी प्रेम से माँ के हाथ से ही था।

पिताजी की राइटिंग टेबल पर मस्त.. लैंप के नीचे ऊन के गोले की तरह बैठा रहा करता था। 

मज़े की बात यो यह थी,कि.. घर में मेहमान आने पर सोफ़े पर बैठता.. और महमानों को परोसे जाने वाले.. मूँगफली और चिड़वे वाले स्नैक्स अलग से कटोरी में डलवा कर खाता था।

हमारे संग ही विक्की रजाई में उन का गोला बन सोता था। ख़ूब मस्त खेलता भी था..  उन छोटे-छोटे अंडे वाली बॉल्स से।

सच! बहुत प्यारा था.. विक्की! हमारे संग कार में गाँव जा रहा था.. और हमारी कार जैसे ही ढ़ाबे पर रुकी.. विक्की के कार में होने से कुत्तों ने कार को घेर लिया था.. डर से छटपटा कर विक्की, पेड़ पर चढ़ गया.. बहुत कोशिशों के बावजूद भी हम विक्की को नीचे उतार पाने में असमर्थ रहे.. और उसी पेड़ पर विक्की को छोड़ उसकी यादें संग लिए.. हम आगे रवाना हो गए थे।

विक्की का साथ बस! इसी पेड़ तक का था.. पर प्यारे से विक्की की प्यारी सी यादें हमारे संग आज भी वैसी की वैसी हैं।

छत्त पर बैठी बिल्ली ने आज डरा तो बहुत दिया था.. पर शायद इसी रूप में कुछ पलों बाद विक्की हमसे आकर मिला था… और एक लम्वे अरसे बाद, पता नहीं क्यों अपनी यादें ताज़ा कर गया था।

था तो बिल्ली का ही बच्चा.. पर उस आत्मा के संस्कार और कोई पुराने संबंध न जाने आज फ़िर कहाँ से आकर जुड़ गए थे। 

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