” उफ़्फ़..! तमाशा बना रखा है!”।

दिमाग़ ठनक गया था.. बाजरे और मक्के के आटे के पैकेट देख कर। सर्दियाँ जाने को हैं.. पर पता नहीं क्यों, लाना ही बंद नहीं करते। 

कई बार पतिदेव से कहा था.. भई! अब कोई नहीं खा रहा ये.. मक्का बाजरा, मत लाओ।

झगड़ा करना पड़ा था.. मुझे ये मक्का और बाजरा के आटे को बंद करवाने के लिए। पर अब यह बचा हुआ.. आटा तो ख़त्म करना ही था.. 

” हम्म! इस आटे की रोटी तो कोई खाएगा नहीं..!”।

सच! मन में तो आया था.. कि,” फेंक देती हूँ!”।

पर अन्न का निरादर करना ठीक न लगा था..

और दिमाग़ ने एक मस्त सा आईडिया निकाल दिया था..

बस! फ़िर क्या था.. बाजरे और मक्के के आटे को मिक्स किया, उसमें गेहूं का आटा मिला कर और मलाई नमक डाल थोड़ा टाइट सा आटा गूंद दिया था।

आधा घन्टा रखने के बाद.. मस्त करारी और नर्म पूरियाँ सबको बनाकर खिलाईं।

पूरियों की सबने जमकर तारीफ़ करी। हमनें भी जोश में आकर बता डाला,” देखा! बाजरे और मक्के दोनों आटे को गेहूं के आटे के साथ मिक्स करने से कितनी स्वादिस्ट पूरियाँ बनती हैं।”

फ़िर.. क्या था!

मुसीबत मोल ले डाली थी.. अगले दिन ही, बाजरे और मक्के का आटा मना करने के बाद.. दोबारा घर में आ गया था।

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