” वाओ! Nice pic”

” सुन्दर ‘

” looking good”

फेसबुक में scroll करते हुए.. अक्सर इसी तरह के कमैंट्स पर नज़र पड़ती चलती है.. अच्छा माध्यम है.. अपनी और अपनों की तस्वीर डालकर दिलखुश करने का!

तस्वीर के हिसाब से ही मित्रगण प्यारे-प्यारे दिल को लुभाने वाले कमैंट्स भी देते हैं.. अपने और औरों के लिए लिखे हुए.. कमैंट्स को पढ़ने में मज़ा भी ख़ूब आता है।

” अपनी उम्र के हिसाब से तैयार होते हैं! फेसबुक का यह मतलब थोड़े ही है… कि उम्र भूल कर कमेंट्स लेने के लिए.. अपना चेहरा बनाया जाए!”।

पास बैठे मुझे लगातार स्क्रॉल करता देख.. और थोड़ा सा टाइम पास करते हुए.. मुझे मेरे बच्चे ने एक महिला की तस्वीर पर टिप्पणी कसते हुए.. कहा था..

मुझे इस तरह से किसी के चेहरे पर टिप्पणी कसना बर्दाश्त नहीं हुआ था.. तुरंत जवाब में पलट कर समझाते हुए.. मैं बोली थी..

” तुम्हारी सोच और तरीका बिल्कुल ग़लत है! अपनी सोच को सही दिशा दो! उम्र हमारे इस शरीर की बढ़ती है.. जो मात्र एक कपड़ा है.. पर हमारा मन आख़िरी साँस तक वही बच्चा और जवान रहता है.. उम्र का पड़ाव कोई भी क्यों न हो! पर मन उसी बच्चे की तरह से मस्ती करना.. और सजना संवरना भी चाहता है.. उम्र की गति से हमारे मन का कहीं भी कोई ताल्लुक नहीं है.. यही तो एक मनुष्य का जीवन है.. जो ईश्वर बहुत ही भाग्यशाली को देते है.. तो क्यों न इसे बालक की तरह हँसते हुए.. और बिंदास होकर बिताया जाए! और अपने-आप को उम्र के हर पड़ाव में उसी तरह से सजा-संवार के रखा जाए!”।

दी हुई सीख.. बच्चे की समझ में ख़ूब आ गई थी..और बोला था..

मतलब आपका यह हुआ..” मैं वही धड़कन वही!” ।

Discover more from Praneta Publications Pvt. Ltd.

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading