“ वो घर पर नहीं हैं! कहीं गए हुए हैं!”।

सुनीता ने रमेश की जानकारी देते हुए, पुलिस वालों से कहा था।

“ मैडम प्लीज! या तो आप उन्हें बुला लाइये! या फ़िर हम उन्हें अपने-आप ही बाहर निकाल लेंगें!”।

सुनीता पुलिस वालों की यह बात सुनकर दौड़ी-दौड़ी ऊपर छत्त की तरफ़ गई थी.. जहाँ रमेश डर के मारे छुपा हुआ था।

“ आप प्लीज! नीचे चलो! नहीं तो वो लोग आपको ढूँढते हुए, यहीं ऊपर आ जाएँगे!”।

“ तू चुप रह! ऐसे कोई नहीं आता!”।

रमेश बोला था।

“ नहीं प्लीज! आप बात मान जाओ! बहुत ग़ुस्से में हैं.. पक्का ढूँढते हुए. ऊपर आ जाएँगे.. बोला है.. उन्होंने!”।

रमेश के दिमाग़ में शायद कोई बात आ गई थी, और वो सुनीता के संग नीचे आकर पुलिस वालों से मिलने के लिये तैयार भी हो गया था। सुनीता नीचे जाकर उन्हें रमेश से मिलाने ऊपर ही लेकर गई थी। तकरीबन छह पुलिस डिपार्टमेंट के आदमी रमेश से सफ़ारी गाड़ी की पूछताछ करने छत्त पर आकर बैठ गए थे। रमेश से उन्होनें गाड़ी के कागज़ों की माँग की थी.. जो रमेश के पास थे ही नहीं… रमेश के पास गाड़ी के कागज़ न मिलने पर वे रमेश को अपने संग पुलिस स्टेशन ले जाना चाह रहे थे, अपने संग रमेश के नाम का वारंट लेकर आए थे।

“ नहीं! नहीं! सर! आप इन्हें अपने संग मत लेकर जाईये!”।

पुलिस वालों ने सुनीता का घबराया हुआ.. चेहरा देखा था, और सुनीता को देखकर थोड़ा मुस्कुराकर बोले थे,” मैडम! घबरा रहीं हैं.. ठीक है! हम आपको दो दिन का टाइम दिए देते हैं, आप गाड़ी के कागजों का इंतेज़ाम कर दीजिये.. नहीं तो थाने आना पडेगा। अब तो ठीक है! न.. मैडम! नहीं ले जा रहे, हम लोग रमेश को!”।

किसी कागज़ पर रमेश और सुनीता के हस्ताक्षर लेकर और रमेश को दो दिन का समय देकर पुलिस वाले वहाँ से चले गए थे। हाँ! सफ़ारी गाड़ी भी उन्हीं के संग थाने चली गई थी। उनका कहना था,” आपको दो दिन का समय है, अगर आप गाड़ी के पेपर्स लाने में सफल हो जातें हैं.. तो अपनी गाड़ी थाने आकर ले जा सकते हैं!”।

पुलिस वालों के जाने के बाद रमेश ने गाड़ी के कागज़ों को कहाँ से लेकर आएगा.. दिमाग़ लगाना शुरू कर दिया था, सोच रहा था.. गाड़ी के कागज़ जाली बनवा लेगा.. और थाने पेश करके गाड़ी वापिस लेकर आ जाएगा।

दर्शनाजी और विनीत दोनों ही सफ़ारी गाड़ी थाने जाने से और रमेश पर आई मुसीबत से अंदर ही अंदर ख़ुश हो रहे थे। मन ही मन कह भी रहे थे,” अब आएगा मज़ा!!”।

रमेश पुलिस वालों की दी हुई.. अवधि में गाड़ी के कागज़ कहीं से भी लाने में असमर्थ हो गया था.. और उसे अब पक्का हो गया था, कि कुछ भी हो थाने से फ़ोन आने ही वाला है.. और उसे जाना ही पड़ेगा।

वही हुआ, जो रमेश सोच रहा था, सही दो दिन के बाद रमेश को थाने में हाज़िर होने के लिये फ़ोन आ गया था। पुलिस स्टेशन जाने के नाम रमेश और ज़्यादा डर गया था, इसलिये उसनें अपने साथ किसी को संग ले जाना बेहतर समझा था.. और एक जानकार को जो कि शायद पहले से ही कोई गुंडा या छोटा- मोटा शैतान था.. अपने संग पुलिस स्टेशन लेकर पहुँच गया था। रमेश के वहाँ गाड़ी के बिना कागज़ के पहुँचते ही.. पुलिस वालों ने उसे वहीं बन्द कर दिया था।

“ मुझे इन्होंने बिठा लिया है! विनीत को भेज दो!”।

रमेश का घर पर विनीत को बुलाने के लिये फोन आया था.. क्या विनीत सुनते ही रमेश की मदद करने के लिये दौड़ा चला जाएगा..अब आगे क्या होगा.. पुलिस  स्टेशन में। आप भी हमारे संग थाने में हो रहे रमेश, विनीत और वहाँ हो रहे वार्तालाप में शामिल होने के लिये.. जुड़े रहिये खानदान के साथ।

Discover more from Praneta Publications Pvt. Ltd.

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading