” हाँ! क्या हुआ..!! कौन से अस्पताल में..? बताया क्यों नहीं! अभी-अभी अम्मा से पता चला!”।

प्रहलाद के फ़ोन पर विनीत का फ़ोन बजता है.. और विनीत क्या और कैसे हुआ.. अपने पिता का हाल ताऊ को फ़ोन पर बता देता है.. सुनीता प्रहलाद को रमेश के बारे में विनीत से बात करते हुए.. गौर से देख रही होती है.. सुनीता को प्रहलाद की आँखों में पिता की चिन्ता और अपने पिता को एकबार फ़िर पाने की चाहत दिखाई देती है। सुनीता प्रहलाद की आँखों में वही बचपन देखती है.. जब रमेश रोज़ एक खिलौना बच्चों के लिए लाकर देता था.. लाने का तरीका बेशक कोई भी रहा हो।

खैर! रमेश की हालत से अब सभी अवगत हो जाते हैं.. और तभी डॉक्टर बाहर आता है..

” कौन हैं.. patient के साथ!”।

” जी! हम..!”।

” patient से मिल सकते हैं! होश आया गया है.. पर केवल दस से पंद्रह मिनट”।

प्रहलाद और सुनीता अंदर कमरे में रमेश से मिलने पहुँच जाते हैं.. रमेश के मुहँ से पत्नी और बेटे को देखते ही यह शब्द निकल जाते हैं..

” मुझे बचा लो!”।

मिलनी का वक्त समाप्त हो जाता है.. प्रहलाद घर चला जाता है.. और सुनीता वहीं अस्पताल में रात को रुकती है..

रमेश का घायल चेहरा और उसके यह शब्द” मुझे बचा लो!”।

सुनीता को सोचने पर मजबूर कर देते हैं.. घर से अभी तक रमेश से मिलने कोई भी नहीं आता है.. अगले दिन डॉक्टर से मुलाकात के वक्त..

” आपरेशन करना पड़ेगा!  आप तीन लाख रुपयों का इंतेज़ाम जल्दी कर लीजिए!”।

डॉक्टर के मुहँ से तीन-लाख रुपए.. सुनीता को कुछ भी ज़्यादा नहीं लगे थे.. आख़िर फैक्ट्री में हिस्सेदार थे.. यह रुपए कोई बड़ी बात नहीं थी..

पैसे की बात सुन.. सासू-माँ और जेठजी ने कोई जवाब नहीं दिया था.. बात साफ़ थी.. इस बार ये लोग रमेश के लिए पैसे देने को तैयार नहीं थे.. बहुत हाथ-पैर जोड़ने पर भी रमा ने बात साफ़ कर दी थी.. 

” तू तो जानती ही है..कोई आजकल पैसे देता है कहाँ है!”।

बहस करने और सोचने का सुनीता के पास वक्त नहीं था.. एकबार को पल भर के लिए सुनीता के दिमाग़ में यह ख़याल आया था,” अगर मैं इस आदमी को सब कुछ बेच कर बचा भी लेती हूँ.. तो यह फ़िर वही सब करेगा! फ़ायदा कोई नहीं है!”।

पल भर के इस ख़याल को सुनीता की अन्तरात्मा ने हिला कर रख दिया था..

” अपने आप को देखोगी! तो इतनी लंबी लड़ाई.. जो आजतक लड़ी है.. हार जाओ गी! फ़ायदा नुकसान नहीं अपने मन की बात सुन!”।

सुनीता को बाज़ीगर के लिबास में देखने के लिये.. जुड़े रहें खानदान के साथ।

Discover more from Praneta Publications Pvt. Ltd.

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading