रोज़ की तरह से ही रात को रमेश घर से बाहर गया था.. लेकिन आज घर से बाहर निकलने से पहले जमकर दोनों भाइयों और माताजी में हिस्से को लेकर झगड़ा हुआ था.. जिसके कारण रमेश काफ़ी ग़ुस्से में गर्म दिमाग़ लेकर तेज़ी से पूरी रफ़्तार के साथ घर से मोटरसाइकिल लेकर भागा था.. रमेश को उस तरह से भागता देख.. सुनीता को थोड़ी चिंता तो हुई, थी.. पर फ़िर अब इन सभी बातों की तो जैसे आदत सी पड़ गयी थी। 

आधी रात के बाद का सन्नाटा था.. और सुनीता एकदम से बिस्तर पर चौककर बैठी थी.. देखा तो रमेश अभी तक घर वापिस नहीं आया था.. एकदम से मन में ख़याल आया था,” इतनी देर तो आजतक कभी नहीं की..! पर जमकर झगड़ा हुआ था.. हो सकता है….”।

अभी मन में विचार चल ही रहे थे.. कि अचानक से फ़ोन की घंटी बजी थी..

” अरे! यह नंबर तो unknown है..! इतनी रात को कौन है..!”।

और सुनीता फ़ोन नहीं उठाती है। घंटी इसी नंबर से दोबारा बजती है… और अबकी बार कौन हो सकता है.. जानने की इच्छुक सुनीता फ़ोन उठा लेती है..

” भाभीजी! रमेश भाई साहब का एक्सीडेंट हो गया है.. उन्हें एम्बुलेंस से यहाँ के रामकृष्ण अस्पताल में भर्ती करवा दिया है.. emergency ward में हैं.. आप जल्दी आ जाइये!”।

” पर मेरा नंबर आपको कहाँ से मिला..?”।

” रमेशजी की जेब में रखी.. उनकी छोटी diary से.. जो कुदरती जेब में से निकलकर बाहर पड़ी मिली थी”।

सुनीता एकदम यह सब सुन घबरा जाती है.. और सीधे भागते हुए.. सासू माँ का दरवाज़ा खटखटाती है.. काफ़ी देर तक ज़ोर-ज़ोर से दरवाज़े को पीटने के बाद सासू-माँ नाटक करते हुए.. दरवाज़ा खोलतीं हैं..

” के सै! क्यों पिटे है..! गेट ने!”।

” उनका accident हो गया है..! अभी-अभी मेरे पास किसी का फ़ोन आया है…! 

“अच्छा..!! तो फेर तूँ रमेश धोरे जा..! मेरी तो आप तबियत ठीक नहीं है..! बेटी..!!”,।

सुनीता सासू-माँ का इस बार का नाटक देख! दंग रह जाती है.. बेटे का ये हाल हो गया.. और माँ डायलाग चुन-चुन कर बोल रही है.. 

खैर! सुनीता के दिमाग में एकबार को विनीत भी आता है.. पर विनीत के कमरे की तरफ़ न भागते हुए.. सुनीता सीधा ऊपर आकर प्रहलाद संग..  बताए हुए.. अस्पताल पहुँच जाती है। 

माँ-बेटा सीधा emergency ward पहुँच जाते हैं.. रमेश को देखते ही.. दोनों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं.. पिता को इतनी सीरियस हालात में देख.. प्रहलाद के पैरों तले ज़मीन सरक जाती है..

डॉक्टरों और चश्मदीद गवाहों से पता चलता है.. कि मोटरसाइकिल और ट्रक का केस है.. ट्रक ड्राइवर को हिरासत में ले लिया गया है..

माँ- बेटा वहीं अस्पताल में बैठ.. रमेश के होश में आने की ईश्वर से प्रार्थना करते हैं.. इस हादसे में बहुत से चेहरों पर से नकाब उतरते हैं.. और सच सामने आता है..

” मुझे बचा लो..!”।

सुनीता के डगमगाते हुए.. परिवार का हाल और वहीं कहीं सुनीता का फ़ैसला.. जुड़े रहें.. खानदान के साथ।

Discover more from Praneta Publications Pvt. Ltd.

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading