” अरे! अन्दर क्यों नहीं करा दिया था.. ये तो वो का वही है!”
पिता के हंगामे पर प्रहलाद चिल्ला कर बोला था।
सारी रात रमेश ने अपने कमरे में हिस्से और पैसे लेकर हंगामा जारी रखा था।
इतना ज़बरदस्त हंगामा देख.. दोनों बच्चे परेशान हो कर घबरा गए थे.. और प्रहलाद ने सारा हाल दिल्ली फ़ोन लगा कर मुकेशजी और अपने मामा सुनील को बता डाला था। हंगामा सुन सुनीता के घर वाले बेहद चिंतित हो उठे थे.. होते भी क्यों नहीं! आख़िर बेटी का मामला जो था.. और वैसे भी सुनीता की तरफ़ से अक्सर हंगामों के ही फोन जाया करते थे।
” अरे! ये विनीत पैसे बिल्कुल भी नहीं देगा! बहुत शातिर है! अगर रमेश उस फैक्ट्री में अलग से काम कर सकता है.. तो ही बात बनेगी! हिस्सा मिलना मुश्किल ही नहीं.. नामुमकिन है!”।
सुनील ने अपनी बहन से रमेश को समझाने के लिये कहते हुए, कहा था।
” मुझे पैसे चाहये! और वो भी अभी दस-हज़ार!”।
रमेश ने सवेरा होते ही एक बार फ़िर से नाटक की शुरुआत करी थी।
दर्शनाजी, विनीत और रमा सभी के सब मौजूद थे.. हिस्से और पैसों को लेकर चिल्ला-चोट होकर रह गई थी.. पर न ही विनीत ने रमेश को दस-हज़ार रुपये देने के लिये हामी भरी थी.. और न ही समस्या का कोई समाधान ही निकल पाया था।
हार थककर एकबार फ़िर उसी तमाशे में रामलालजी के परिवार की गाड़ी चल पड़ी थी।
घर में हुए.. हंगामे की ख़बर रंजना तक पहुँच चुकी थी।
इस बार लडक़ी पलवाने का पक्ष लेते हुए.. दर्शनाजी ने सुनीता और बच्चों का खाने-पीने का ख़र्चा अलग से तय करवा दिया था। इस बात को लेकर सामने वाली पार्टी ने कोई भी विरोध नहीं किया था… किसी में भी दर्शनाजी के सामने सही को सही और ग़लत की ग़लत बोलने की हिम्मत नहीं थी। हालाँकि जब रमेश गाड़ी लेकर रंजना से मिलने निकलता था.. तो एक बार रमा ने सुनीता की तरफ़दारी करते हुए, कहा भी था,” पत्थर देकर मार! गाड़ी के काँच पर! क्या न दोबारा चला जाएगा!”।
दर्शनाजी वहीं खड़ी होकर यह बात सुन रहीं थीं.. रमा को देख इस बात पर अजीब सा चेहरा बना बैठीं थीं.. जो रमेश की तरफ़दारी की ओर संकेत कर रहा था.. रमा सासू माँ की आँख का इशारा पा.. दोबारा से रमेश और रंजना को लेकर कुछ भी न बोली थी।
बात यहीं साफ़ हो चुकी थी.. पूरा का पूरा परिवार रमेश की बर्बादी का कारण बन चुका था.. मकसद तो एक हिस्सेदार कम करना ही था।
रमेश की मस्ती लडक़ी के साथ बरकरार थी.. और सुनीता की चिन्ता का भी कोई अंत नहीं आ रहा था।
” अगर कल को ये लड़की यह कहती है.. कि मैं रमेश के बच्चे की माँ बनने वाली हूँ! तो आप लोग इसका भी ख़र्चा दोगे!”।
सवाल तो सुनीता का बिल्कुल सही था.. पर यह सवाल किससे कर रही थी.. सुनीता! जवाब में क्या सुनने को मिला था.. जानने के लिये बने रहें खानदान के साथ।