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खानदान 114

indian wedding

रमेश पूरी तरह से हरियाणे जाने को तैयार हो गया था.. दिवाली के बाद सर्दियों में जाना तय हुआ था। दीवाली का त्यौहार हमेशा की तरह से ही रामलाल विला में धूम-धाम से मनाया जा रहा था.. कि अचानक ही दिवाली से अगले दिन ही..  रमेश के फ़ोन पर घंटी बजी थी..

” वा कोनी रया!”।

विनीत का फ़ोन था.. मोहित नहीं रहा..!!

घर बेहद दुःखद घटना का शिकार हो गया था.. दर्शनाजी का भांजा मोहित दुनिया छोड़ कर जा चुका था.. अब तो दर्शनाजी का तुरंत ही हरियाणे जाने का कार्यक्रम बन गया था।

रमेश और दर्शनाजी दोनों को ही साथ में गाँव जाना था। रमेश ख़ुशी-ख़ुशी अपनी माँ के संग गाँव जाने को तैयार हो गया था.. हरियाणा पहुँचने के बाद..

” अरे! ये गाँव में क्या बक़वास करती घूम रही है..!!”।

रमेश का फ़ोन सुनीता के लिये आया था.. रमेश जम कर दर्शनाजी की बुराई कर रहा था,” पूरे गाँव में कहती फ़िर रही है.. कि मैंने लड़की पाल रखी है.. उसी के साथ मैं भाग जाना चाहता हूँ!”।

माँ-बेटों के गाँव में रहने के दौरान रमेश का ज़मीन का काम नहीं बनता.. और अपनी माँ के संग वापस इंदौर लौट आता है। लेकिन जल्द ही वापस हरियाणा जाने का कार्यक्रम बनाता है।

” वे जम की बदमाश सैं! ध्यान ते सौदा करियो ज़मीन का!”।

विनीत ने दूसरी बार जाते हुए, रमेश से कहा था।  

वा भई! विनीत! बड़े ही प्यार से रमेश को बेवकूफ़ बना कर भेज रहे हो! खैर! कोई बात नहीं जो भी होगा बात सामने आ ही जाएगी।

रमेश ने गाँव पहुँचकर पटवारी से बातचीत करके ज़मीन तीनों के नाम चढ़वाकर कानूनी काम पूरा कर दिया था। इधर सुनीता को चिंता खाए जा रही थी.. पता नहीं ज़मीन बेच कर क्या करेगा! बहुत सारे पैसे ला रहा होगा, रंजना के लिये!

सुनीता अपना अलग ही ख्याली पुलाव पकाने लगी हुई थी।

” इस बार ज़मीन नहीं बिक पाई! दोबारा आना पड़ेगा!”। दिखाना पूरा मैसेज!

कौन सा मैसेज पकड़ा गया.. आइये हमारे संग मिलकर आप भी सभी रमेश का मैसेज पढ़िये खानदान में।

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