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कंस नगरी है -दिल्ली ,कौन नहीं जानता ?

कृष्ण बलराम

महान पुरुषों के पूर्वापर की चर्चा !

भोर का तारा -नरेन्द्र मोदी.

उपन्यास -अंश :-

खूब -खूब आशीर्वाद लिया था – पाजी ने ….? मैं भी प्रसन्न था . अब आ कर मेरा मन खुला था …? अब कहीं मेरा साहस लौटा था . अमित मेरी ओर मुडा था . उस ने भी मुझे ताड लिया था – कि …मैं निराश था …डरा हुआ था ….?

“क्या हुआ ….?” उस का सीधा प्रश्न था .

“कहते हैं – दिल्ली में सीधे लोग नहीं रहते ….?” मैंने सीधे ही तीर दागा था .

“तो हम कौन से कम बदमाश हैं ….?” अमित ने उत्तर दिया था .

अब हम दोनों हो हो हो …कर हंस पड़े थे ! मैंने अमित को बांहों में भर कर प्यार किया था !!

अचानक ….और न जाने कैसे ..हम दोनों की निगाहों के सामने ११ अप्रेल सन २००२ में गोवा में हुई उस ..निर्णायक बैठक का द्रश्य आ खड़ा हुआ था – एक उदाहरण की तरह ….एक मील के पत्थर की तरह ..जिस का निर्माण भी हमीं ने किया था …?

बड़ा ही खुला-खिला-सा दिन था …? गोवा का मौसम तो वैसे भी बड़ा ही सुंदर और सुहावन होता है ! द्रष्टि बार-बार बहक कर सागर तट पर घूम आती थी …और …एक अमर आशा के साथ लौटती थी . हवा का रुख-मुख भी सही लग रहा था …?

बैठक में आज पार्टी के सभी दिग्गज विराजमान थे !

अटल जी के आस-पास उन के ..समर्थक …शुभचिंतक …और परामर्शदाता …कुंडली मारे बैठे थे ! वे देश के प्रधान मंत्री थे ! उन की निगाह के साथ-साथ ही हवा हिलती थी ! उन का वर्चस्वा था …प्रभाव था …रुतवा था …और ..थी ख्याति – जो विश्व में फैलती ही जा रही थी ….? पास बैठे लोगों ने उन्हें बता दिया था कि …वो महान थे …महान लेखक थे …महान विद्वान् …और ..विचारक भी थे …! वो भारत रत्न थे …और आज के लिए – अजेय ही थे …..!!

उन के चहरे पर बैठे भावों से परलक्षित था कि….आज वो एक और इतिहास रचेंगे ….???.

अडवानी जी का चेहरा तनाव पूर्ण था . सौरी और जसवंत सिंह साथ-साथ बैठे थे . वैन्कीया नाईडू सामने ही थे . ब्रिजेश मिश्र किसीउलझन में अटके लेगे थे . प्रेस एक अनमोल घोषणा की प्रतीक्षा में था …!!

सब को …और सब आगंतुकों को पता था …कि आज ..गुजरात के सी एम् – मोदी को …अपदस्थ किया जाएगा …उन से स्तीफा लिया जाएगा …और नाईडू …को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाएगा …!!

दिल्ली से उड़ान भरने से पहले अटल जी ने तय कर लिया था कि …अब मोदी को उन्हें हटाना ही होगा …? यह बात ७ अप्रेल २००२ सिंगापूर में अटल जी के साथ हुई …बैठक में – देश-विदेश के पत्रकारों …और बुद्धिजीविओं ने मिल कर तय की थी ! उन का कहना था कि …मोदी के रहते उन की लुटिया डूब जाएगी …छवि बिगड़ जाएगी ….और वो अपना चुनाव भी न जीत पाएंगे …? पूरे विश्व के मुसलमान भारत में हुए इस गोधरा की शर्मनाक घटना से …महा अप्रसन्न हैं ! इस से अटल जी की सेक्युलर छवि को आघात पहुंचा है ? वक्त रहते ही अगर इस मोदी का इलाज़ न हुआ तो …..

“शाह आलम केम्प …गुजरात …अहमदाबाद में …रहते ९००० मुसलमान ..शरणार्थी …अपनी जब कहानी सुनाते हैं …तो …मानवता की भी आँखों में आंसू भर आते हैं …?” यह अटल जी को बताया गया था . “आप एक कवि -ह्रदय … महा-मानव …देशः के प्रधान मंत्री …के लिए ..यह शोभा नहीं देता कि …”

“राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने …अपने गुजरात दौरे के दौरान …जानते हो क्या कहा था ….?” पत्रकार अटल जी से पूछ रहे थे . “आप के रहते …अटल जी के राज में …उन्हें ये उम्मीद न थी कि ….”

“लेकिन,भई ? वो जो ….बे-गुनाह कार-सेवक …अयोद्ध्या से लौटते राम-भक्त …हिन्दूओ को …यों रेल के डिब्बों में …भून-भून कर मार डालना …? मुसलामानों का गुनाह तो है …?” अटल जी का ये छोटा-सा विरोध सामने तो आया था .

“अरे ! ये सब तो इसी मोदी की करामात है …?”तुरंत ही तुरप लगाई गई थी ! “आप भोले हैं.अटल जी ….? आप इस आदमी को समझ ही नहीं पाए …? वरना तो आप इसे सी एम् बनाने की गलती ही न करते ….?”

“हटाओ, इसे ….?” समवेत स्वर गूंजे थे . “डुबो देगा …आप को …भी ….?” साथ में एक चेतावनी भी दी थी – अटल जी को .

और फिर ११ अप्रेल को ही …अटल जी ने यह शुभ -लग्न निकाला था ……!!

“अरे…! आप ने टिकिट करा लिया …?” ब्रिजेश मिश्र ने अरुण शौरी से पूछा था .

“हाँ,हाँ ! क्यों …क्या बात है ….?”

“केंसिल कराओ ! आप अटल जी के साथ …उन के जहाज में जाएंगे …! और हाँ ! वो जो …काम होना है ….उस के लिए अटल जी की …और अडवानी जी की बात …आप कराएंगे ! वरना तो ये दोनों …किसी हाल में एक दूसरे से न बोलेंगें ….?” वो हँसे थे .

सच ही था . हवाई जहाज में कुल चार लोग थे ! अटल जी अगली सीट पर आँखों के सामने अखबार ताने बैठे थे …तो …अडवानी जी भी …अखबार पढ़ने में ही मस्त थे ! वहां उपस्थित जसवंत सिंह और अरुण शौरी ने स्थिति भांप ली थी !

“अखबार तो बाद में पढ़ते रहेंगे ….पर वो दो मुद्दे तो तय हो जाएं …?” शौरी ने अटल जी का ध्यान तोडा था .

“अडवानी जी ! थोडा समय दीजिए …और …और निर्णय लीजिए कि …” जसवंत सिंह अब अडवानी जी के पास आ बैठे थे . “नईडू को पार्टी का अध्यक्ष …बनाना है …और ….”

“मोदी को आउट करना है ?’ अटल जी ने ही प्रश्न सामने रख दिया था .

अडवानी जी बड़े ही लम्बे पलों तक …अटल जी को घूरते रहे थे ! समझ ते रहे थे कि …आखिर अटल जी कह क्या रहे थे …? एक चुप्पी छंट गई थी ! एक तनाव बैठा रहा था ! फिर कुछ सोच कर अडवानी जी बोले थे !

“मोदी के जाने पर कुहराम मच जाएगा ….?” अडवानी जी का स्वर काँप उठा था . “ये ….आप ….?” आगे वह कुछ न बोल पाए थे .

“यह तय है, अडवानी जी !” जावंत सिंह ने बात को अंतिम रूप दे दिया था .

और …और अब …सब के सामने ….भरी सभा में …इसी बात को प्रस्ताव की शक्ल दे , घोषणा होनी थी !!

“बैंकैया नाईडू …जी को पार्टी का …अध्यक्ष …मनोनीत किया जाता है !” ब्रिजेश मिश्र का स्वर गूंजा था .

तालियाँ बजीं थीं ! हर्षोल्लास हुआ था ! सब ने आँखें उठा कर अब वेंकैया नाईडू को देखा था ! वो प्रसन्न थे ….प्रफुल्लित थे …!!

तभी …हाँ,हाँ …तभी …उसी वक्त के बाद मैं …उठा था …और डाईस पर आ पहुंचा था ! हर आँख ने मुझे एक शक की तरह देखा था ? लेकिन मैंने ज्यादा वक्त जाया न करते हुए …कहा था – ‘त्याग-पत्र ‘ ….!!

“मेरा त्याग-पत्र स्वीकार करें ….?” मैंने पूर्ण रोष के साथ कहा था . “चूंकि …भारतीय जनता पार्टी ….की छवि मेरी वज़ह से खराब हो रही है ….चूंकि …मैं हत्यारा हूँ ….चूंकि मैं साम्प्रदायिक हूँ …और चूंकि …मैं पार्टी को डुबो दूंगा …अतह …मेरा त्याग-पत्र !!” मैंने अपने हाथ में पकडे त्याग-पत्र को हवा में लहरा दिया था !

चुप्पी थी. शान्ति थी . कोई बोल नहीं रहा था …..!!

“नो…! नो …!!” आवाजें उठीं थीं . “त्याग-पत्र वापस करें, मोदी जी ….!!” फिर से शोर उठा था . “मोदी….मोदी ….मोदी …मोदी ….!!” स्वर गूंजे थे . एक लहर उठी थी जिस ने जमा सारे दिग्गजों के दिल दहला दिए थे ! मैंने उन पलों में अटल जी के परास्त हुए चहरे को देखा था !

“चलो ! इस निर्णय को बाद के लिए रख लेते हैं …?” ब्रिजेश मिश्र की चालाक आवाज़ थी . उन का चहरा भी बिगड़ा हुआ था . “दिल्ली चल कर ….?” उन का सुझाव आया था .

“नहीं ….!! नो-नो-नो ….!!” फिर से वही आवाजें …लौटीं थीं . फिर से वही शोर उठा था . फिर से मांग खड़ी हुई थी . “यहीं ….!! अभी निर्णय होगा …..? इसी वक्त बता दिया जाएगा ….कि ..’मोदी इस नांट …आउट …?” मांग सामने आ कर खड़ी हो गई थी !!

आस-पास मंडराते प्रेस के लोग …कुछ भी न समझ पा रहे थे !

“वापस आईये ….मोदी जी ….!!” मुझे आदेश मिला था . “आप गुजरात के सी एम् हैं ….और रहेंगे ….!!”

और मैं डाईस छोड़ कर लौटा था . मैं अमित की बगल में आ कर बैठ गया था ! पूरी जमात ने हम दोनों को आँखें भर-भर कर देखा था …घूरा था ….एक साथ …? लेकिन उन सब की निगाहें ….उन आती आवाजों का पीछा न कर पाईं थीं ….?

“द …कू -दि -तां …आँफ ,,,मोदी …?” प्रेस ने कहा था . कहानियां थीं कि …मोदी ने …चल चल कर गोवा में हुई बैठक को निरस्त्र कर दिया ….और ..पूरी जमात को डरा दिया …जैसे की उन्होंने गुजरात में किया ….जैसे कि उन्हीने ……”

और फिर अनगिनत कहानियां भी लिखी गईं थीं ….!!

“नई बात क्या है ….?” अमित ने सहज स्वभाव में पूछा था . “कंस नगरी है-दिल्ली , ये कौन नहीं जानता …?” उस ने हंस कर कहा था . “चलते हैं ….?” उस का सुझाव -एक आदेश जैसा था . “गुजरात में रह कर कुछ भी न हो पाएगा …?” अमित ने स्पष्ट कहा था . “देश को आप की आवश्यकता है ….वरना मैं कभी न कहता ,भाई जी ….?” वह हंस रहा था .

और उस दिन …उसी दिन …वहां …वाद नगर में ..कृष्ण …और बलराम का …कंस नगरी – दिल्ली में ..आना – प्रवेश करना …. निश्चित हो गया था …!!

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श्रेष्ठ साहित्य के लिए – मेजर कृपाल वर्मा साहित्य !!

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