होली है, हो

रंग बरसे… भीगे कानू रानी रंग बरसे

होली है….

अरे केने मारी पिचकारी कानू की भीगी अंगिया

ओ रंग रसिया, रंग रसिया हो

हर मौसम और उससे जुड़े तीज त्यौहार और खान-पान सबका एक अलग ही मज़ा होता है। साल के पूरे आठ महीने गर्मी चलती है.. उसके बाद जब शरद ऋतु का आगमन होता है.. तो मन में मीठी सी प्रसन्नता छा जाती है। अब आठ महीने गर्मी की चिलचिलाती हुई धूप बर्दाश्त करने के बाद सर्दी की मीठी सी धूप मन को बहुत भाती है। जाड़े के चार महीने रजाई में बैठकर कैसे निकल जाते हैं.. पता ही नहीं चलता। शरद ऋतु हमें चलते वक्त..  तोहफे के रूप में होली जैसा यादगार त्यौहार देकर जाती है.. होली का त्यौहार सच मानिए इतना प्यारा तोहफ़ा होता है.. जिसका हम पूरे साल इंतेज़ार करते हैं.. कि कब आएगी होली।

हमारे घर में भी हमारे बच्चों को होली का त्यौहार सबसे ज़्यादा प्रिय है.. सारे साल इसी त्यौहार का बच्चे बेसब्री से इंतेज़ार करते रहते हैं। आख़िर होली ही तो ऐसा त्योहार है.. जिसमें बच्चे खूब हुड़दंग मचाते हैं.. और जम कर मस्ती करते हैं।

अब हमारे बच्चों में हमारी प्यारी कानू भी शामिल हो गई है। छोटी सी लड्डू जैसी प्यारी कानू को जब हम घर लाए थे.. तो हमनें कानू की पहली होली पर कानू के प्यारे से छोटे से रसगुल्ले जैसे मुहँ पर हल्का गुलाबी रंग लगाते हुए.. त्यौहार का शगुन कर दिया था। और सबको समझा भी दिया था.. कि हमारी कानू को कोई गीला नहीं करेगा.. अगर हमारी छोटी गुड़िया बीमार पड़ गयी.. तो बताए देते हैं.. हाँ!!

अब तो कानू भी हमारे संग सभी त्यौहार मनाते हुए.. बड़ी हो चली है.. और कानू को भी होली का त्यौहार ही खूब भाता है। हम त्यौहार वाले दिन अपने परिवार के लिये पकवान बनाने में व्यस्त हो जाते हैं.. और बच्चे और कानू त्यौहार की मस्ती में रंग जाते हैं। सच! बतायें हमारी तो पूरी छत्त ही रंगीन हो जाती है.. और छत्त पर बिखरे सभी तरह के रंग होली की मस्ती और उमंग को बयां करते हैं।

अब होता यूँ है.. कि बच्चे छत्त पर ही लगी हुई टंकी में हमारे मना करने के बावजूद भी पानी को रंगीन कर गुब्बारे भर-भर आते-जाते लोगों पर ऊपर से मारते हैं.. और कानू भी दौड़-दौड़ कर पूरी मस्ती में अपनी फ्लॉवर जैसी पूँछ हिलाते हुए.. दीदी-भइया का खूब साथ देती है। आते-जाते लोगों पर भौंकते हुए.. हैप्पी होली का संदेश देती रहती है। आपस में भी बच्चे एक-दूसरे के ऊपर खूब गुलाल फेंक रंग-बिरंगे हो जाते हैं.. अब कानू भी कौन सी कम पड़ती है.. जान बूझकर बच्चों के बीच में आकर रंगीन हो जाती है। सच! में कानू के कोमल और सफ़ेद मलमली शरीर पर पड़े हुए.. होली के रंग बेहद खूबसूरत लगते हैं.. और हमारी कानू भी किसी रंगीन और प्यारी सी गुड़िया से कम न लगती है। बच्चे होली का संगीत खूब तेज़ी से चलाकर छत्त पर ही धुआंधार होली खेलते हैं.. एक दूसरे पर पिचकारी मार मस्ती भरे रंगीन पानी में रंगते चले जाते हैं। हमारे मना करने के बाद भी कानू-मानू भी होली के पानी में पूरी तरह से भीग कर अपने दीदी-भइया संग अपने मन पसंद पकवानों का मज़ा लेकर कानू खूब मन से होली के त्यौहार का आनंद लेती है।

होली के त्यौहार के कई दिन बाद तक भी हमारी कानू के सफ़ेद मलमली शरीर पर रंगों की छाप रह जाती है.. और कानू बहुत दिनों तक एक प्यारी सी रंगीन स्टफ टॉय नज़र आती रहती है।

हमारे होली के त्यौहार में भी कानू संग चार-चाँद लग जाते हैं.. और हर साल होली के त्यौहार पर हम कानू संग अपनी खुशियाँ दुगनी करते हुए.. एक बार फ़िर चल पड़ते हैं.. प्यारी और सबसे न्यारी कानू के संग।

अगर आपको भी हमारी कानू हमारी तरह ही प्यारी और अच्छी लगने लगी है, और आप भी हमारी तरह ही कानू से प्यार करने लगे हैं.. तो जुड़े रहिये कानू के किस्सों के साथ.. और अपना प्यार कानू को इसी तरह भेजते रहिये।

आप सभी को हमारी और हमारी कानू की तरफ़ से होली के त्यौहार की शुभकामनाएं!!

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