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क़ानू के श्रृंगार

kaanu ka shringar

“प्यारी तो आप हो ही तुन्दर भी हो” अक्सर हम अपनी क़ानू को गले लगाकर और प्यार भरी पप्पी देकर यही शब्द कहा करते हैं। और कहते हैं”छब छे प्यारी और छब बच्चों में न्यारी”सुनकर क़ानू अपनी गर्दन को हल्का सा हिलाती है और बहुत खुश हो जाती है….समझ जाती है कि प्यार के साथ-साथ क़ानू मानू की तारीफ भी की जा रही है। क़ानू की सुन्दरता की तारीफ तो मैं अक्सर किया करती हूँ, तारीफ करते करते थकती नहीं हूँ…सूंदर हल्के सुनहरे पेपर कटिंग जैसे मुड़े हुए कान …जिनके कारण ही तो मैंने नाम क़ानू रखा है। पूरा सफ़व्ड शरीर जिसके ऊपर सिर्फ दो गोल सुनहरे निशान जो क़ानू की सुन्दरता में चार चाँद लगते हैं। फ्लॉवर जैसी सफेद खिली हुई पूँछ और गुलाब जामुन जैसी गोल नाक, शरारत भारी काली सूंदर छोटी_छोटी गोल गोल आँखें ..सच!कोई मुकाबला नहीं है मेरी क़ानू की सुन्दरता का इस दुनिया में। क़ानू दिमाग़ की बहुत तेज़ है, और अपनी मेन्टेनेन्स का काफ़ी ख़याल रखती है। गर्मियों में सारे दिन बहार नहीं निकलती क्योंकि छत्त पर धूप और गर्मी होती है। ऐसे ही सर्दियों के मौसम में क़ानू थोड़ी-थोड़ी देर के लिए धूप में जाकर बैठ जाती है, और फिर झट से छाँव में आ जाती है, बच्चे हँसकर कह देते हैं”देखो!क़ानू अपने complexion का कितना ध्यान रखती है न मम्मी,कहीं काली न हो जाये”। अच्छा लगता है, सुनकर और हँसी भी आ जाती है। प्यार से हम अपनी क़ानू को गले लगाकर यही कहते हैं”जो बच्चे बन्दर होते हैं वही तुकन्दर भी हो जाते हैं”। पता इन शब्दों का क्या मतलब होता है….पर क्या बताएँ मेरी क़ानू इतनी cute है कि क़ानू को देखकर शब्द अपने आप प्यार में घुलकर टूट जाते है। क़ानू को निहल।ने धुलाने का हम विशेष ध्यान रखते हैं ….क्योंकी जानवरों के डॉक्टर का कहना है….कि कुत्तों में बीमारी होती है, क्योंकी पालतू कुत्ते हमेशा आपके साथ ही रहते हैं जैसे आपके बिस्तर पर या फिर कहीं भी जहाँ पर आप खुद बैठे हैं। इसलिए इनके नहाने का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। ताकि इन्फेक्शन वगैरह न फैले। पर हम तो अपनी क़ानू को कुत्ता मानते ही नहीं हैं….हम अपनी बिटिया रानी क़ानू रानी को एकदम साफ और सुंदर रखते हैं। 

क्या बतायें नहाने धोने का क़ानू को भी बहुत शौक है …निहलाते तो खैर हम एक ही बार हैं। गर्मियों के मौसम में क़ानू को नहाना बेहद पसंद आता है, वैसे तो कुत्तों को गर्मी ज़्यादा लगती है,तो नहा कर खुश होते हैं। गर्मियों में क़ानू को भी नहाना बहुत अच्छा लगता है….जिस दिन नहाने का नंबर लगता है,उस दिन हमें दिखाने के लिए क़ानू गहरी नींद में सो जाती है …जब हम क़ानू की चेन और टॉवल लाते हैं तो क़ानू को कन्फर्म हो जाता है कि ओहो! कि आज तो पकड़कर ले जाएगी और नाहलायेगी। बस!बिस्तर में खूब नखरे से गर्दन को उपर करके सोने की एक्टिंग करती हैं…मैं अंदर कमरे में आकर अपनी क़ानू को पप्पी देकर बाथरूम की ओर लेकर चलती हूँ। नहाना होता है क़ानू को पर एक्टिंग चल रही होती है मैडम की। कभी-कभी तो दोनों आगे के हाथ पकड़कर और खड़ा करके क़ानू को चला कर में बाथरूम तक ले जाती हूँ …एक्टिंग और नखरे तो पूरे ही हैं क़ानू-मानू के।

इतनी चंट है ,क़ानू कि कभी-कभी हमें लैटे हुए ही क़ानू को घसीटकर बाथरूम तक ले जाना पड़ता है। सफेद से इस छोटे से भालू के मन में नहाने के टाइम कोई न कोई शैतानी आ जाती है। खैर!बाथरूम में अन्दर सॉफ्ट सी क़ानू को हम गले से लगाकर प्यार करते है,गाल पर नहलाने से पहले एक पप्पी देते हैं,और बाथरूम का गेट बंद। क़ानू भी हैप्पी और हम भी खुश। पहले अच्छे से कान वान गीले करके सारी क़ानू को गीला कर दिया करते थे,और फिर सारी क़ानू पर पानी डाल देते हैं…मुहँ भींच कर हम प्यार से बोल भी दिया करते हैं..ब्रश भी करेगा क़ानू मानु..खूब एन्जॉय करती है क़ानू जब हम शरीर में साबुन लगाकर झाग-वाग बनाते हैं। हमें क़ानू को  साफ करने में बहुत मज़ा आता है…क़ानू भी खूब उछल-कूद करती है नहाते वक्त। नहाना खत्म होने के बाद क़ानू अपना पानी झाड़ लिया करती है बतर

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