हम भी अगर बच्चे होते
नाम हमारा होता गबलू-बबलू
खाने को मिलते लड्डू
और दुनिया कहती हैप्पी बर्थडे टू यू
हैप्पी बर्थडे टू यू।
फेसबुक पर बर्थडे पार्टी की तस्वीरें देखने के बाद.. हमारे ज़माने में और आज के बर्थडे सेलिब्रेशन में बहुत अंतर पाया था.. नहीं! नहीं! सेलिब्रेशन तो उस वक्त भी इसी तरह से होता होगा.. बस! सोशल मीडिया पर तस्वीरों का कोई चक्कर नहीं था..
लेकिन हमारा बर्थडे कुछ अलग ही ढंग से सेलिब्रेट किया जाता था.. पार्टी-शॉर्टी का कोई चक्कर ही नहीं रहता था.. बस! माँ हमारी पसंद का भोजन पूछ कर बना दिया करतीं थीं.. परिवार में पूजा-पाठ का चलन था.. तो जन्मदिन वाले दिन अच्छे कपड़े पहन कर मंदिर हो आया करते थे।
हाँ! पर अपना बर्थडे अपनी क्लास में तो ज़रूर ही मनाया करते थे..
क्लास में बच्चों के हिसाब और अपनी टीचर्स के हिसाब की .. वो पहले जो पारले की ऑरेंज वाली टॉफ़ीइयाँ आतीं थीं, न! बस! उन्हीं का पैकेट ले जाया करते थे.. सभी बच्चों को दो-दो टॉफ़ी, मित्रों को थोड़ी-थोड़ी ज़्यादा.. और मैडम के आगे यह बोलकर कि…
” Goodmorning madam! ये टॉफ़ी.. आज हमारा बर्थडे है!.. टॉफ़ी का पैकेट रख दिया करते.. और हमारी मैडम जितनी उनकी मर्ज़ी होती.. उतनी टॉफ़ीस ले लिया करतीं थीं।
जैसे ही क्लास-टीचर मैडम फर्स्ट पीरियड शुरू होते ही.. क्लास में आया करतीं थीं.. फटाक से अपनी टॉफ़ीस का पैकेट लिए उनके आगे खड़े होकर कह दिया करते थे.. बर्थडे मुहँ से सुन हमारी मैडम भी ख़ूब ख़ुश होते हुए.. क्लास में announce करते हुए कहतीं..
” चलो.. भई! आज इनका बर्थडे है! खड़े होकर विश करो!”।
और सभी क्लास के छात्रगण खड़े होकर तालियॉँ बजाते हुए.. हमारे लिए स्वर में बर्थडे सॉन्ग गाया करते थे..
” Happy birthday…! Happy Long life!! .. Happy Happy birthday to you!!”
बस! इन्हीं पंक्तियों को दो-चार बार गाकर हमें प्यार से पूरी क्लास बर्थडे विश कर दिया करती थी।
उसके बाद सभी अपनी सीटों पर बैठ जाते.. और हम मैडम को टॉफ़ीस ऑफर करने के बाद..
सभी छात्रों की डेस्क पर जाकर टॉफ़ीस बाँट दिया करते थे।
यही नहीं घर से पैसे भी लेकर आया करते.. ताकि इंटरवल में ख़ास मित्रों को कैंटीन में जाकर ब्रेडपकोड़े और बंटे की पार्टी दे सकें।
उन दिनों कोल्ड्रिंक में बंटे का ही ज़माना था.. लगता बड़ा टेस्टी था.. और एक बोतल आती, भी.. केवल एक-डेढ़ रुपए की ही थी।
पेन या फ़िर और कोई छोटा-मोटा gift देकर मित्र भी अपना प्यार जता दिया करते थे.. उन दिनों पैसे का आज की तरह शो-शा नहीं था। आपसी प्यार और मित्रता में ज़्यादा विश्वास था।
खैर! घर और स्कूल में कुछ इस तरह से हम अपना बर्थड़े सेलिब्रेट किया करते थे..
पर सेलिब्रेशन तो स्कूल वाला ही याद रह गया है.. वो मैडम के आगे मुस्कुराते हुए.. टॉफ़ीस का पैकेट लेकर खड़े होना..
और सबसे बड़ी ख़ुशी महसूस करते हुए..
यह कहना..
” Good Morning मैडम! आज हमारा बर्थडे है!”।
यादगार बन कर रह गया.. ऐसा वाला बर्थडे तो अब ईश्वर ने चाहा तो अगले जन्म में ही मन सकता है.. या फ़िर कोई कोई ऐसी तरकीब हो.. जिससे हम फ़िर से बच्चे बन अपनी क्लास वाला बर्थडे मना सकें।