” तुम भी अपने लिए कुछ मंगवा लो!”।

” नहीं! नहीं! .. ठीक है! It’s okay!

” नहीं कुछ तो..!”

दअरसल.. मौका दीपावली का है.. और घर में सभी के लिए कोई न कोई गिफ्ट आ रहा था.. सो.. पतिदेव हमसे भी पूछ बैठे थे.. हालाँकि हमारे पास किसी भी चीज़ की कोई कमी नहीं है.. फिर भी इतने प्यार से बार-बार कोई भी पसंद की गिफ्ट लेने का आग्रह कर रहे थे.. तो हमनें भी सोच कर कह ही दिया था..

” ठीक है! अब आप हमें भी देना ही चाह  रहे हैं.. तो फ़िर एक अच्छी सी balley दिलवा दीजिए!”।” 

यह “balley” हमनें थोड़ा ज़्यादा ही मुस्कुराकर यानी के हँसते हुए कहा था।

” क्या बात है! मज़ाक के मूड में लग रही हो!”।

” अरे! नहीं! नहीं! ऐसी कोई बात नहीं! हमें balley वाली बात से अपने कॉलेज की मस्ती भरा एक दिन याद आ गया था!”।

हुआ यूँ था.. कि एकदिन हमारी बहुत प्यारी और पक्की कॉलेज की सहेली हमारे घर balley खरीदने ही आई थी.. हमारे घर के पास लेडीज़ शॉपिंग का market बहुत ही अच्छा है.. हमारे साथ चलकर वहीं से शॉपिंग करना चाहती थी.. इसलिए आ गई थी।

खैर! अब दोनों जनी हम balleys खरिदने मार्किट जा पहुँचे थे..

और दुकानों में मनपसन्द balleys के लिए.. छानबीन भी शुरू कर दी थी..

अब एक दुकानदार जैसे ही हमें balleys दिखाने लगा.. न जाने किस बात पर हमारी हँसी का फव्वारा छूट गया था.. पता नहीं क्यों दुकानदार भी हाथ में balley लेकर खड़ा हमें देख परेशान हो गया था.. कि अरे! ऐसी कौन सी कॉमेडी हो गई.. कि इनकी हँसी ही नहीं रुक रही।

हँसी तो हम दोनों की वाकई में न रुकी थी.. हँसते-हँसते पेट पकड़कर दुकान से तो निकल आए थे.. पर उस दिन balleys की खरददारी भूल.. हमारा दिन हँसी में लोट-पोट होते हुए.. ही बीता था।

अब क्या कारण था.. उस दिन इतना ज़्यादा ठहाका लगा-लगा हँसने का.. आज तक रहस्य बन कर रह गया। पर आज भी वो दिन याद कर बिना मतलब हँसी आ ही जाती है।

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