कई चित्र और पोस्ट किए हुए, videos ऐसे होते हैं.. जिन्हें देख मन अतीत में जाए बगैर नहीं रह पाता।
आज बहुत ही सुंदर बहती हुई नहर के video पर नज़र जा टिकी थी.. चारों तरफ़ हरियाली और पहाड़ थे, और बीच में नहर बह रही थी।
अब तो वैसे भी जाड़ा जाने को है.. सुन्दर नहर और कल-कल बहते पानी की आवाज़ ने ऐसी ही एक नहर की याद दिलाते हुए.. मन में ताज़गी और ठंडक भर दी थी।
पिताजी फौज में थे, तो तबादला होता ही रहता था.. जम्मू ट्रांसफर पर हम कुछ दिनों तक लिये.. रखमुट्ठी नाम की छोटी सी जगह पर शिफिट हो गए थे।
घर अलॉट नहीं थे.. सारे officers को रूम ही मिले हुए थे।
हमारे कमरे की लोकेशन बहुत ही प्यारी थी।
कमरे के पीछे से पहाड़ दिखते थे, और ऊँचाई पर एकदम बर्फ़ जैसे ठंडे पानी की नहर बहा करती थी। उस नहर में से निकलता हुआ एक छोटा सा नाला ठीक हमारे कमरे के पीछे वाले दरवाज़े से होकर निकल रहा होता था। जंगली खूबसूरत फूलों की टहनी से ढका हुआ था.. वो नहर से आता ठंडे पानी का नाला।
पानी बेहद साफ़ और बर्फ़ सा ठंडा था.. उस नाले का। और बहते पानी में कभी-कभी टकराते हुए, वो जंगली फूल उसकी शोभा बढ़ाते रहते थे।
सिर्फ़ कमरा अलॉट था.. किचन का कोई चक्कर नहीं था।
इसलिए फ्रिज वगरैह भी पैक ही थे।
पर हमें फ्रिज की कमी महसूस नहीं हुई कभी। ये ठंडे पानी का सुंदर नाला हमारे फ्रिज का ही तो काम किया करता था।
काँच की बोतलें भर-भर कर हम पीछे, पानी में टिका दिया करते.. बस! पूरे दस मिनट में पानी बढ़िया ठंडा हो जाया करता था। ऐसे ही दूध और फल वगरैह ठंडे कर-कर खाते थे।
उस फ्रिज की खास बात यह थी.. कि खराब होने के चक्कर से मुक्त था।
वाकई! उस नहर के उस खूबसूरत ठंडे पानी के नाले ने अच्छे-अच्छे कंपनी के फ्रिजों को मात दे रखी थी।
कुछ भी कहो! मनभावन फ्रिज तो वही साबित हुआ था।