न ही कोई चिड़िया और तोता वाली कविता है.. यह! और न ही कोई इन पक्षियों के बारे में ही विशेष जानकारी है।
दअरसल एक बहुत ही पुरानी सी बात जो कि.. नानी-दादी के वक्त की है.. अचानक से ही चलते-चलते याद आ गई थी.. सोचा लिख डालूँ..
हम जब बहुत छोटे थे.. यानी ना समझ से ही हुआ करते थे.. तो नानी-दादी के आँगन में हमें खेलते हुए रोक कर.. पूछा जाता था..
” ज़रा बताना डाल पर चिड़िया बैठी है! कि तोता!”।
और हम झट्ट से चिड़िया या तोता कह दिया करते थे।
अगर चिड़िया जवाब हुआ करता.. तो मुहँ सा बन जाया करता था।
और अगर तोता जवाब में होता.. तो हमारे गाल पर प्यार भरी पप्पी मिलती थी..
अब इस चिड़िया तोते वाले प्रश्न के पीछे राज़ बहुत ही छोटा सा होता था..
जब कोई नया मेहमान खानदान में आने वाला होता था.. तो ” डाल पर चिड़िया बैठी है! या तोता!” मासूम बालक से पूछ .. लड़की या लड़के का पता लगाया जाता था..
अगर जवाब में चिड़िया होता.. तो आने वाला मेहमान.. कन्या!
और अगर तोता.. तो खानदान का वारिस यानी बेटा! पहले के हमारे बुज़ुर्ग घर में पहला मेहमान.. बेटा ही हो! ऐसा मानते थे.. और ख़ुश होते थे.. कन्याओं से भी वही प्यार था.. बस.. हल्की सी सोच का फ़र्क रखते थे।
और सोचने वाली बात यो यह थी.. की अक्सर मासूम बच्चे के मुहँ से निकलने वाला जवाब सही हो ही जाया करता था।
मेडिकल साइंस से अल्ट्रासाउंड द्वारा नवजात शिशु के बारे में पता लगाने वाली बात तो हमारे लोगों के दिमाग़ में दूर-दूर तक नहीं थी..
उन्होंने तो चिड़िया तोते वाली technique ही अपना रखी थी।
साइंस और टेक्नोलॉजी ने प्रगति बहुत कर ली है.. इसमें कोई शक नहीं है..
पर आज के इस मशीनी और तेज़ रफ़्तार से दौड़ रहे हमारे समाज में चिड़िया तोते जैसी मीठी और मासूम ऐसी ही बातें जो दिलों को जोड़ा करतीं थीं.. कहीं गुम होकर रह गईं हैं।