आओ तुम्हें चाँद

पे ले जाएं

एक नई दुनिया

बसाएं!

बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ हैं.. गुनगुनाते-गुनगुनाते आज की ख़बर पर नज़र पड़ी थी.. चन्द्रयान-2 चाँद के करीब पहुँचते-पहुँचते रह गया.. प्रधानमंत्री जी श्री नरेंद्र मोदी जी होंसला बढ़ाते हुए.. दिखे थे । 

भारतवर्ष प्रगति के पथ पर तेज़ी से बढ़ रहा है.. वो दिन दूर नहीं जब हमारे अगले क़दम चाँद पर होंगें। पर चाँद का नाम आते ही.. मन एक ख्याली दुनिया बसा बैठा था..

काश! हमारे देश का इतना विस्तार हो जाए.. कि एक नई दुनिया हमारे ही देश के नाम की चाँद पर जा कर बस जाए! और सारा विश्व हमारी और अपना सिर ऊपर किए हमारी ओर ताकता ही रह जाए!

खैर! वो दुनिया तो जब बसेगी तब बस्ती रहेगी.. पर सबसे पहले तो ख़यालों में हमनें ही अपना घर चाँद पर बसा डाला..

अब ख़यालों में चाँद पर एक बहुत ही सुंदर कॉलिनी बन गयी है.. जहाँ सबसे पहला आशियाना हमारा ही तो है.. पृथ्वी से चाँद बेहद खूबसूरत नज़र आ रहा है.. हमें! देखते ही देखते बाज़ार यातायात और एक नई अर्थव्यवस्था के साथ भारत-2 नामक देश यहाँ बस गया है.. कमाल ही हो गया! और तो और भारत-1 यानी हमारे भारतवर्ष से चाँद पर पहुँचने के लिए.. एक नए और अनोखे यातायात का भी प्रबंध हो गया है.. अब इस अनोखे मार्ग द्वारा ही हमारे रिश्तेदार हमारी नई बसावट देखने हमसे मिलने आने लगे हैं.. हमारे चाँद पर यूँ अनोखा रहने का ढँग देख अब अपना भी मन बनाने लगे हैं।

देखा! मित्रों हमारा चाँद पर रहने का ये खयाली पुलाव कर गया न कमाल..!! हमारी लिखी हुई.. ये चाँद पर बस जाने की कुछ पंक्तियाँ आपका भी मन तो नहीं बदल बैठी हैं.. ?

काश! यह हमारा ख़याल सच में बदल जाए..!

तुझसे ताउम्र मेरा याराना रहेगा

घर देख लिया है अब आना-जाना रहेगा

हौंसलों की ज़िद्द तू भी देखना

एक रोज़ तेरे घर मेरा आशियाना रहेगा।

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