by Rachna Siwach | Sep 27, 2019 | Uncategorized
” बेटा उठो..! जल्दी से नहा-धोकर तैयार हो जाओ! आंटी बुला गईं हैं! अष्टमी की पूजा के लिए.. उनके घर जाना है!”। बात दीवाली से पहले वाले नवरात्रों की है.. जब हमें कन्या भोज का निमंत्रण दिया जाता था.. वैसे भी हमें नवरात्रों का इंतज़ार हमेशा ही रहा करता था.. खाने...
by Rachna Siwach | Sep 26, 2019 | Uncategorized
“अगला स्टेशन राजौरी गार्डन है!”। मेट्रो ट्रेन में लगातार स्टेशनों की अनाउंसमेंट होती चल रही थी.. पर हमारे कानों में जूं तक नहीं रेंग रही थी.. क्योंकि ये निगाहें दूर वहीं कहीं जा अटकी हुईं थीं.. जहाँ हम पिताजी से मुलाकात कर वापस लौट रहे थे.. कारागार no 7 एक...
by Rachna Siwach | Sep 21, 2019 | Uncategorized
क्या खाओगे बोलो बच्चों उबले आलू रखें हैं! कहो तो पराठां बना दूं इनका नहीं तो सब्ज़ी के लिए भी अच्छे हैं! आलू पराठां सुन कूदे हम बच्चे बोले माँ छोड़ो सब्ज़ी के झंझट को आलू पराठां खाइयेंगे आज हम अपनी नन्ही हथेलियों से छिल के आलू बोली माँ लाओ धनिया मिर्ची बच्चों!...
by Rachna Siwach | Sep 21, 2019 | Uncategorized
कभी रेल कभी जेल जीवन का कैसा अनोखा खेल कभी इज़्ज़त कभी बेइज़्ज़ती हर रंग में ज़िन्दगी बिकती हर रंग को खरीदना ज़रूरी यहाँ पर हर रंग में ज़िन्दगी रंगती चलती हर रंग में रंगा हुआ यह जीवन बन जाता सुन्दर चित्र- कला सा हर रंग का अपना महत्व था जिसमें हर रंग से बना ...
by Rachna Siwach | Sep 21, 2019 | Uncategorized
” मैडम science test copies लेकर आ गई हैं! Test तो अच्छा ही दिया था.. अच्छे नंबर आने चाहिएं!”। एक ज़माने में जब हम पढ़ा करते थे.. तो हर टेस्ट के बाद कुछ इसी तरह की कहानी हुआ करती थी.. मैडम का क्लास में टेस्ट copies लेकर आना होता था.. और हमारा कॉपियों का...
by Rachna Siwach | Sep 19, 2019 | Uncategorized
“हम लोग..” “ये जो है! ये जो है!.. ज़िन्दगी” “विक्रम! विक्रम ! बेताल!..ताल! ताल!” पीछे वाले घर से जब हम बच्चे हुआ करते थे.. तो छुटपन में इन टेलीविज़न के नाटकों के टाइटल song की आवाज़ें हमारे कानों में गूंजा करतीं थीं.. अपने...