दूध

दूध

दूध! दूध! दूध! दूध…! वंडरफुल दूध..! पियो ग्लास फुल दूध… यह पंक्तियाँ उस विज्ञापन की हैं… जो बहुत पहले टेलीविज़न पर आया करता था.. बुनियाद, हमलोग, यह जो है.. ज़िन्दगी वाले दिन हुआ करते थे। हमारा तो यह विजापन प्रिय था.. विज्ञापन में काँच का ग्लास ले-ले कर बच्चे...

पान का पत्ता

हर रोज़ की तरह शाम को घर आया फ्रेश होकर खाना खाया। फिर मन में आया कि फ्रिज़ में एक पान का पत्ता पड़ा है उसमें चैरी वगैरह डालकर मीठा पान बनाकर श्रीमती जी को खिला दिया जाये। उठ कर फ्रिज़ से पान की पोटली निकाल कर खोली तो देखा कि पान का पत्ता तो सूखने लगा है। ये क्या कल...
क़िस्सा

क़िस्सा

बहुत पुरानी कहानी है मित्रों, बहुत पुराना यह क़िस्सा है, गर्मी के दिन होते थे वो, मस्त दोपहरी कटती थी, चम्पक बिल्लू पिंकी संग वो, लोट-पोट में बस्ती थी I चाचा-चौधरी राजा होते, जिनकी मूछें देख-देख, हम मुस्काते थे, मोटू-पतलू संग रहते थे, जो सदा हँसाया करते थे I विक्रम...
साईकल

साईकल

” Hello! हाँ!..सब बढ़िया! अरे! हम बात कर रहे थे!”। ” हाँ! हाँ! सब मजे में है.. कहो आज कैसे याद किया!”। पूरे परिवार से बात करने के लिए.. आज बहुत दिनों के बाद फ़ोन लगाया था। ” वीडियो कॉल करें क्या..!!’ अब सारे ही परिवार से हाल-चाल...
H2O

H2O

H2 + O2= H2O  कुछ नहीं बस! Chemical equation है.. water की। नहीं! नहीं! कोई पढ़ाई के विषय में चर्चा नहीं करने जा रहे हैं हम! दअरसल आज एक measuring glass घर में नया खरीद कर लाया गया .. रसोई में कुछ ख़ास बनाते वक्त समाग्री नापने की ज़रूरत पड़ ही जाती है। चारों तरफ़...
420

420

” हा!…हा!..ही!..ही!…..हु!…हु! ” अरे!.. क्या है!”। ” कुछ नहीं! चल…..!!”। पेट पकड़कर क्लास से स्टाफ़ रूम तक हमारे साथी हमें अपने साथ हँसते हुए. लेकर चल रहे थे। कमाल तो यह था.. कि.. बात तो कोई थी ही नहीं..पर पता नहीं...