बहुत दुःख होता है.. समाज में आज अपनी बहन-बेटियों को असुरक्षित देखकर!

माँ-बाप कितना भी क्यों न पढ़ा-लिखा लें.. अपनी बिटिया को.. पर फ़िर भी यह समाज उन्हें स्वछंद रूप से जीने नहीं देता..

बहुत बुरा लगता है.. ऐसे समाज में रहते हुए.. जहाँ आज भी पुरुष वर्ग जानवरों की तरह से बौखलाया हुआ.. बहन-बेटियों के पीछे घूम रहा है।

कड़े-से कड़े नियम बनाए जाने पर.. और नतीजा खतरनाक होने पर भी कोई डर नाम की चीज़ ही नहीं रह गयी है।

समाज को सुधारने का एक ही तरीका हो सकता है.. अपने-अपने घरों में अपने सुपुत्रों को संस्कार देने की कोशिश की जाए।

बहन-बेटियों का मान-सम्मान करना सिखाया जाए।

स्वछंद आकाश में अपनी बहनों को उड़ते हुए.. देखा जाए।

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