by Surinder Kaur | Jul 24, 2019 | Uncategorized
लहजे मे उसके वो लिहाज न था। बात करने का वो अंदाज न था। मुद्दत बाद मिले थे हम दोनो पर ,ये नया एक आगाज न था। खामोशी ढूंढती रही लफ्जो को ऐसा तो वो बेआवाज न था। कहता था वो जानता हू तुझको मगर ऐसा वो मेरा हमराज न था। जिंदगी से सुर न निकले कोईऐसा तो ये कभी टूटा साज न था।...
by Surinder Kaur | Jul 24, 2019 | Uncategorized
पत्थर की नारी हो तो पूजे है सब कोई। हांड माँस की नारी देखे, तो जाने क्या होई। वैसी ही है वो तो रे जैसे तेरी माँ ,बहना। लूटे लाज उसी की, और तुझे क्या कहना। छोटी छोटी बच्चिया बचती नही यहा तो। कहां छुपा ले इन को तू ही जरा बता तो। बात सोचने की है है जिम्मेदारी भारी।...
by Surinder Kaur | Jul 19, 2019 | Uncategorized
आज कल की औलाद , औलाद क्यू नही?हर मकान घर जैसा आबाद क्यू नही? वैसे तो रहते है हम एक ही छत के तलेपर होता दिनो तक,आपसी संवाद क्यू नही?सब कुछ होते हुए भी दुखी है हम सारे,ऐ खुदा इन दुखो का,कोई अपवाद क्यू नही?शायद ...
by Surinder Kaur | Jul 17, 2019 | Uncategorized
भूलने को तो बहुत सी बातें भूल जाती हूँ मैंमगर जो भूलना चाहती हूँ वो क्यू याद आते है।कुछ लोग बिछङ कर भी साथ साथ होते है।कुछ साथ हो कर भी क्यू बिछङ जाते है।हमसफर ,हमराह ,हमजुबाँ तो मिल जाते हैंहमख्याल, हमनवाँ ही क्यू दिल को भाते हैं।सजाये रखते हैं हम जिनको दिल के कूचे...
by Surinder Kaur | Jul 11, 2019 | Uncategorized
गर तू ही इशक होने से मुकर गया होता।मेरे अन्दर का वो जख्म भर गया होता।चहकती फिरती मैं अल्हङ सा यौवन लेकररूप मेरा कुछ और निखर गया होता।गुब्बार कोई न होता फिर मेरे भी सीने में।मेरे अंदर का वो शख्स न मर गया होता।आवारा फिरती न यादें तेरी ज़ेहन में मेरेतू गर मुझ से किनारा...