लिहाज़

लहजे मे उसके वो लिहाज न था। बात करने का वो अंदाज न था। मुद्दत बाद मिले थे हम दोनो पर ,ये नया एक आगाज न था। खामोशी ढूंढती रही लफ्जो को ऐसा तो वो बेआवाज न था। कहता था वो जानता हू तुझको मगर ऐसा वो मेरा हमराज न था। जिंदगी से सुर न निकले कोईऐसा तो ये कभी टूटा साज न था।...

पत्थर की हो नारी

पत्थर की नारी हो तो पूजे है सब कोई। हांड माँस की नारी देखे, तो जाने क्या होई। वैसी ही है वो तो रे जैसे तेरी माँ ,बहना। लूटे लाज उसी की, और तुझे क्या कहना। छोटी छोटी बच्चिया बचती नही यहा तो। कहां छुपा ले इन को तू ही जरा बता तो। बात सोचने की है है जिम्मेदारी भारी।...
आज कल की औलाद

आज कल की औलाद

आज कल की औलाद  , औलाद  क्यू नही?हर मकान  घर जैसा  आबाद  क्यू नही? वैसे तो रहते है हम एक ही छत के तलेपर होता दिनो तक,आपसी संवाद  क्यू नही?सब कुछ होते हुए  भी  दुखी है हम सारे,ऐ खुदा इन दुखो का,कोई अपवाद क्यू नही?शायद ...
आज कल की औलाद

वो क्यू याद आते है

भूलने को तो बहुत सी बातें भूल जाती हूँ मैंमगर जो भूलना चाहती हूँ वो क्यू याद आते है।कुछ लोग बिछङ कर भी साथ साथ होते है।कुछ साथ हो कर भी क्यू बिछङ जाते है।हमसफर ,हमराह ,हमजुबाँ तो मिल जाते हैंहमख्याल, हमनवाँ ही क्यू दिल को भाते हैं।सजाये रखते हैं हम जिनको दिल के कूचे...
आज कल की औलाद

जख्म भर गया होता

गर तू ही इशक होने से मुकर गया होता।मेरे अन्दर का वो जख्म भर गया होता।चहकती फिरती मैं अल्हङ सा यौवन लेकररूप मेरा कुछ और निखर गया  होता।गुब्बार कोई न होता फिर मेरे भी सीने में।मेरे अंदर का वो शख्स न मर गया होता।आवारा फिरती न यादें तेरी ज़ेहन में मेरेतू गर मुझ से किनारा...