by Rachna Siwach | Feb 8, 2020 | Uncategorized
बात गर्मियों की छुट्टीयों की है.. घर जाना हुआ था। हर गर्मियों की तरह, नानी घर में पूरी रौनक जमी हुई थी। हर साल की तरह सारा परिवार इकठ्ठा हो, दोपहरी में बिस्तर पर गप्पे हाँक रहा था.. माँ, हमारी नानी और बच्चे सभी थे। कि अचानक हमारे वहीं पास में रखे.. लैंडलाइन फ़ोन की...
by Rachna Siwach | Feb 7, 2020 | Uncategorized
” हम्म….! दो!”। ” चल! अब तेरी बारी!”,। ये..! छह! खुल गई!”। छह या एक पर गोटी का खुलना ही खेल को जीतने का अहसास हुआ करता था। और तो और खेल की शुरुआत में कौन से रंग की गोटियाँ पसंद करनी हैं! ये भी सोचना होता था.. लूडो की गोटियों के कलर भी...
by Rachna Siwach | Feb 2, 2020 | Uncategorized
मेरी जान, मेरी जान मुर्गी के अंडे हाँ! हाँ! मेरी जान मेरी जान, मुर्गी के अंडे। वाकई! में हमारी और हमारे परिवार की जान ही हुआ करते थे, मुर्गी के अंडे। हर रोज़ के नाश्ते पर बारह अंडे तो हमारे परिवार में लगते ही थे। अंडे ब्रेड का ही नाश्ता चला करता था.. हमारे यहाँ। हमें...
by Rachna Siwach | Feb 2, 2020 | Uncategorized
कहिए फलों को हाँ! किसान squash है.. जहाँ..!! कहिए फलों को हाँ..!! किसान squash है… जहाँ..!! कुछ याद आया, बहुत पहले.. दूरदर्शन पर यह विज्ञापन आया करता था। हमें तो बस इतना सा ही याद है.. कि यह विज्ञापन orange squash का हुआ करता था.. और मोटे-मोटे ताज़े बढ़िया...
by Rachna Siwach | Jan 30, 2020 | Uncategorized
” इधर आओ! लाओ..! ठीक से बाजू कर दूं ! तुम्हारी!”। स्वेटर की बाजू ठीक करने के बाद, मेरी कानू हमेशा की तरह खेल में वयस्त हो गयी थी। और थोड़ी देर बाद.. ” अरे! पागल हो गयी हो! क्या काना.. यह क्या किया तुमनें! बाजू में से हाथ निकाल कर, तुमनें स्वेटर में...