खानदान 163

खानदान 163

” इधर-उधर से सामान उठानिए का घर कभी नहीं बसता है! मेरा हल्दी पीसने का grinder घर से बेरा न कब उठ गया.. पता ही नहीं चला!”। दर्शनाजी यहाँ अपनी हल्दी पीसने वाले ग्राइंडर का रोना रो रहीं थीं.. जो उन्होंने ख़ुद ही रमेश को इशारा कर रसोई से उठवा दिया था। जेब भरने...
खानदान 163

खानदान 162

रमेश के इस घर में सामान बेचकर पैसा लाने के बिज़नेस में सुनीता चाहे अनचाहे शामिल हो गई थी.. वक्त के लपेटे में न चाहकर भी ईश्वर की ऐसी करनी हुई.. कि मुकेशजी और उनका बिज़नेस गिरता ही चला गया। हर माँ-बाप हर कीमत पर बेटी का सुख चाहता है.. इसलिए मुकेशजी ने सुनीता को कभी...
खानदान 163

खानदान 161

ये सामान बेचकर बिसनेस का आईडिया रमेश की शादी के बाद ही शुरू हो गया था.. ” यो कूलर बेच की न ! दिल्ली गया था!”। दर्शनाजी ने सुनीता के आगे बताया था.. हालाँकि सीख तो उन्हीं की थी.. पर हिसाब तो शुरू से वही था..  ख़ुद ही कहना कि जा चोरी कर ले! और फ़िर...
खानदान 163

खानदान 160

” मेरे पास सिर्फ़ सौ रुपए हैं!”। यह डायलॉग रमेश ने सुनीता के ब्याह के तुरंत बाद ही बोल दिया था.. जब वह उसे पहली बार पगफेरे के बाद इंदौर ले जाने आया था.. उस वक्त इस डायलॉग का मतलब ही क्या हो सकता था.. भई! अच्छे खासे बिसनेस मैन थे.. रामलालजी! घर में...
Article 15

Article 15

बारिशें शुरू हो गई हैं..यहाँ भोपाल में सुहाने मौसम की शुरुआत हो चुकी है.. इसी सुहाने मौसम में हमारा जन्मदिन भी आता है। कल ही वो शुभ दिन था.. वैसे तो हम अपने जन्मदिन पर कुछ ख़ास करते नहीं हैं.. बस! परिवार के लिए अच्छा भोजन बनाया .. छुट्टी। पर कल हमारे जन्मदिन के उपलक्ष...