by Rachna Siwach | Jul 19, 2019 | Uncategorized
” तू इस बुढापे के पास सामान को रखवा दे.. मैं इसे हाथ भी नहीं लगाऊंगा!”। रमेश कहा-सुनी के बीच सुनीता से बोला था.. चाहता था, कि सुनीता अपने गहने अपने संग न ले जाकर उसकी माँ के पास ही रखवा दे.. ससुराल का मामला था.. छुट्टी बिताने दिल्ली पहुंचना था.. चारों तरफ़...
by Rachna Siwach | Jul 18, 2019 | Uncategorized
आज एकबार फ़िर हमारी कलम प्यारी कानू के बारे में लिखने के लिए उठी है.. अब क्या बताएं हमारी कानू है.. ही इतनी प्यारी कि हमारा मन ही नहीं माना। सारे परिवार का लाड़ और प्यार समेटने वाली है.. हमारी कानू। छुटपन से ही हमनें एक नन्ही और प्यारी गुड़िया की तरह से पाला है.. कानू...
by Rachna Siwach | Jul 17, 2019 | Uncategorized
रमेश ने सुनीता को बैग खोलकर चैक करवाने के लिए कहा था.. पर कुछ आनाकानी कर सुनीता अपने ले जाने वाला बैग न खोलते हुए.. नीचे चली गई थी। और फ़िर वही ड्यूटी का नाटक तो था ही.. ” अरे! थोड़ा इस बैग की ड्यूटी देना.. इसमें मेरा गोल्ड है.. दिल्ली ले जाना है! यहाँ रह गया तो...
by Rachna Siwach | Jul 17, 2019 | Uncategorized
” घर आ रही है! न!”। माँ ने सुनीता से फोन पर पूछा था.. बात अनिताजी के सामने की थी। ” हाँ! माँ! सामान का इंतज़ाम देख लूँ.. फ़िर आ जाऊँ गी! अब दोनों बच्चे मेरे साथ आइएंगे.. घर अकेला रह जाएगा.. सोचना तो पड़ता ही है! बताउं-गी.. मैं आपको इंतज़ाम...
by Rachna Siwach | Jul 16, 2019 | Uncategorized
एक दिन का रमेश का खर्चा अब पाँच-सौ रुपए से नीचे नहीं था.. अपने-आप को फैक्ट्री का मालिक दिखाने के लिए.. कोई भी तरीका अपनाने को तैयार हो गया था। फैक्ट्री के मालिक से रमेश का मतलब.. कम से कम एक ही शाम के हज़ार रुपए उड़ाने से था। बोलता भी था.. ” हम कोई भूखे-नंगे...