by Rachna Siwach | Aug 6, 2019 | Uncategorized
कोई पहचाने हाँ मुड़ के है जाने हाँ सब मुड़ के हैं देखें मेरी कैट वॉक ख़यालों की एक अलग ही दुनिया बस गयी थी हमारी.. बस! अपने-आप को आईने में देखे बगैर ही मॉडल बनने का सपना देख बैठे थे.. और सपना देखना तो बनता ही था.. आख़िर कॉलोनी के प्रेसिडेंट साहब जो घर पर आकर...
by Rachna Siwach | Aug 6, 2019 | Uncategorized
बिजली चमकी गरजे बादल बिजली की चमक में कहीं कुटुम्ब था मेरा बिजली चमकी गरजे बादल उस चमक में कहीं बचपन था मेरा बिजली चमकी गरजे बादल उस चमक में कहीं चेहरा था तुम्हारा बिजली चमकी गरजे बादल उस चमक में कहीं तुम मुस्कुरा रहीं थीं बिजली चमकी गरजे बादल उस चमक में मैं चल पड़ी...
by Rachna Siwach | Aug 4, 2019 | Uncategorized
क्रोधित हुई प्रकृति बाढ़ है आई रुला गई मानव को ऐसी धूम मचाई बाढ़ के क्रोध से भयभीत हुआ मानव चिल्लाया है! प्रकृति तुम इतनी क्रोध में क्यों थीं आईं बोली तिलमिला कर प्रकृति वृक्षों को क्यों मार गिराया सीने से लगे थे मेरे तुमने कैसे वार कराया मेरा खोया लौटाओ हरापन नहीं तो...
by Rachna Siwach | Aug 4, 2019 | Uncategorized
आया सावन पड़ गए झूले तीज त्यौहार है आयो रे! रंगीलो भयो आँगन घर को जब सखियों संग गीत गायो रे! आई री बन्नो ससुराल से मायके माँ ने लाड़ लगायो रे आँगन महके तीज के संग में जब पकवान थाल सजाओ रे! खिल गईं कलियाँ नाची सखियां घर आनंद समायो रे! झूमा नाचा मन झूमा रे! हरियाली तीज...
by Rachna Siwach | Aug 4, 2019 | Uncategorized
” ठीक है..! न मास्टरजी! फ़िर किस तरह सिलना है.. और कुरतों में कौन सा डिजाइन रखना है!”। ” जी! बहनजी.. जैसा आपने बोला है! वैसा ही बना देंगें!”। ” कब आ जाऊँ फ़िर मैं ये कपड़े लेने!”। ” आप आ जाना हफ़्ते भर में!”। ”...