पुतला

पुतला

दस सिर वाला पुतला देखा! वाह रे! भइया!.. भइया! भइया! बड़ी थीं.. मूछें रोबीली जिसकी वाह रे! भइया!.. भइया! भइया! काठी ऊँची पेट था.. मोटा उसका भइया वाह रे! भइया!.. भइया! भइया! आजू-बाजू बिल्कुल जैसे उसके दो-दो पुतले  और खड़े थे वाह रे! भइया!.. भइया! भइया! बोले तीनों...
पुतला

रावण

” आ जो भई! सब! खीर पूड़ी बने सैं..! अप-आपणी खाओ!” ” तू जागी के! रावण देखन..?”। ” हाँ! देख लेंगें! शाम को.. जैसा भी होगा!”। हरियाणा के माहौल में विजयदशमी मनाने का पहला अवसर मिला था.. अब हमारा माहौल तो हरियाणवी न था.. और न ही विवाह से...
तैयारी

तैयारी

” किचन की खिड़कियां तुम साफ़ कर देना! और तुम शो केस चमका देना! पँखे- वखें तुम लोगों से साफ़ नहीं होंगें! उन्हें मैं चमका दूँगा..!”। दीवाली आने से पहले परिवार में पिताजी द्वारा सफ़ाई के कामों का वितरण हो जाया करता था। हमारी अपनी सहूलियतों के हिसाब से हमें...
बापू

बापू

वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीड़ पराई जाणे रे। राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी के आज जन्मदिवस पर सभी मित्रों को हार्दिक बधाई। आज स्वतंत्र भारत में जो हम खुल कर अपना जीवन जी रहे हैं.. का श्रेय बापू को ही जाता है। निस्वार्थ भाव से प्रयत्न कर उन्होंने भारतवर्ष को आज़ादी का हार...
वस्तु-विनमय

वस्तु-विनमय

” कुल्फी! कुल्फ़ी.. गोले की कुल्फ़ी बढ़िया.. !!50 पैसे की एक प्लेट!”। ” चल! चल! आ गया कुल्फ़ी वाला..! नानीजी से 50-50 पैसे लेकर खाते हैं.. कुल्फ़ी!”। ” नानीजी! नानीजी! गली में वो ही साइकिल वाला आया है! कुल्फ़ी लेकर । दे दो !आप हम दोनों को...