जी साब!

जी साब!

” भइया! आप न गोभी वगरैह बना दिया करो! टिफ़िन के लिए!” ” जी! साब!”। “चलो! अच्छा है.. अब टिफ़िन में रोज़ सब्ज़ी मिला करेगी! नहीं तो वही ब्रेड जैम ले जाने पड़ते थे”। बात दरअसल उन दिनों है.. जब हमारे पिताजी फ़ौज की सर्विस में थे.. और...
पत्र

पत्र

आदरणीय से पत्र शुरू हो रहा सादर चरण स्पर्श पर ख़त्म होता था मीठे बोलो से भरे इस पत्र में अपनेपन का रस होता था समय का पहिया घूमा ऐसे पत्र तो हो गए बंद ही जैसे  चैटिंग का ज़माना है आया पत्रों को जैसे रोक लगाया व्हाट्सप्प में सिमटी सब बातें स्टीकर और दो शब्दों में...
आजकल की नारी

आजकल की नारी

अपना ज़माना बखूबी याद है.. हमें! जब हम धीरे-धीरे बडे होते जा रहे थे.. अब उन दिनों मोबाइल और इंटरनेट का कोई चक्कर तो था, नहीं! बस! अपनी पढ़ाई, और पढ़ाई-लिखाई ख़त्म होने के बाद.. माँ की रसोई में उनके साथ हाथ बटाना होता था.. बड़े होने के साथ-साथ.. पढ़ाई के संग .. हमें...
शरद ऋतु

शरद ऋतु

शरद ऋतु का मौसम है आया सब्जियों की बारात  सी लाया हरे-भरे मेहमान बन पालक मैथी आए संग अपने सरसों भी लाए बथुए की थी चाल निराली! संग-संग आईं गाजर मूली और दोनों गोभी बहन प्यारी छम्मक- छल्लो बनी मटर खड़ी थी हर मेहमान संग मानो हिली-मिली थी ढोल नगाड़े अमरूद बजा रहे...
खुशबू

खुशबू

” ये vicks की बोतल किसने खाली कर दी!”। ” अरे! नानी आप को पता नहीं है! बछड़े के सिर में बहुत तेज़ दर्द हो रहा था.. और ज़ुकाम से इसकी नाक भी गीली थी! तो मैंने यह vicks रखी देखी! और लगा दी!”। यह सालों पुराना बचपन का नानी-घर का क़िस्सा याद कर.. मेरे...