by Rachna Siwach | Oct 23, 2019 | Uncategorized
” भइया! आप न गोभी वगरैह बना दिया करो! टिफ़िन के लिए!” ” जी! साब!”। “चलो! अच्छा है.. अब टिफ़िन में रोज़ सब्ज़ी मिला करेगी! नहीं तो वही ब्रेड जैम ले जाने पड़ते थे”। बात दरअसल उन दिनों है.. जब हमारे पिताजी फ़ौज की सर्विस में थे.. और...
by Rachna Siwach | Oct 22, 2019 | Uncategorized
आदरणीय से पत्र शुरू हो रहा सादर चरण स्पर्श पर ख़त्म होता था मीठे बोलो से भरे इस पत्र में अपनेपन का रस होता था समय का पहिया घूमा ऐसे पत्र तो हो गए बंद ही जैसे चैटिंग का ज़माना है आया पत्रों को जैसे रोक लगाया व्हाट्सप्प में सिमटी सब बातें स्टीकर और दो शब्दों में...
by Rachna Siwach | Oct 22, 2019 | Uncategorized
अपना ज़माना बखूबी याद है.. हमें! जब हम धीरे-धीरे बडे होते जा रहे थे.. अब उन दिनों मोबाइल और इंटरनेट का कोई चक्कर तो था, नहीं! बस! अपनी पढ़ाई, और पढ़ाई-लिखाई ख़त्म होने के बाद.. माँ की रसोई में उनके साथ हाथ बटाना होता था.. बड़े होने के साथ-साथ.. पढ़ाई के संग .. हमें...
by Rachna Siwach | Oct 22, 2019 | Uncategorized
शरद ऋतु का मौसम है आया सब्जियों की बारात सी लाया हरे-भरे मेहमान बन पालक मैथी आए संग अपने सरसों भी लाए बथुए की थी चाल निराली! संग-संग आईं गाजर मूली और दोनों गोभी बहन प्यारी छम्मक- छल्लो बनी मटर खड़ी थी हर मेहमान संग मानो हिली-मिली थी ढोल नगाड़े अमरूद बजा रहे...
by Rachna Siwach | Oct 22, 2019 | Uncategorized
” ये vicks की बोतल किसने खाली कर दी!”। ” अरे! नानी आप को पता नहीं है! बछड़े के सिर में बहुत तेज़ दर्द हो रहा था.. और ज़ुकाम से इसकी नाक भी गीली थी! तो मैंने यह vicks रखी देखी! और लगा दी!”। यह सालों पुराना बचपन का नानी-घर का क़िस्सा याद कर.. मेरे...