विस्सल

विस्सल

अभी कोई भी बस स्टॉप नहीं आया था.. हमारी आर्मी स्कूल बस सिर्फ़ स्लो हुई थी,कि.. ” अरे! भइया…! प्लीज चुप हो जाओ..! बिना मतलब आप क्यों विस्सल बजाए जा रहे हो! बस स्लो हुई है.. ब्रेकर है.. न!” और काला चश्मा लगाए हमारे मोटे पेट वाले कंडक्टर भइया ने विस्सल बजानी...
नीला आसमान

नीला आसमान

” कल सुबह चार बजे निकलते हैं..  फ़िर! ..चलो! अब तुम लोग चलकर सो जाओ! नहीं तो नींद नहीं खुलेगी..Goodnight!”। ” Goodnight माँ! Goodnight पिताजी!”। अगले दिन सवेरे कार से हमारे परिवार का.. हरिद्वार जाने का कार्यक्रम बना था.. अक्सर हम सभी कहीं...
गोवर्धन

गोवर्धन

 “अरे! आज फ़िर से आपने यह आलू टमाटर की इतनी बढ़िया सब्ज़ी और पूरी कचौरी व खीर बना डालीं! अब कल ही तो छोले संग दीपावली पर भटूरे खाए थे.. आज नहीं! आज तो रोटी और सिंपल दाल ही बना देतीं!”। माँ से हम बहन-भाई भोजन देख.. एक ही संग बोले थे.. माँ ने हम तीनों...
गिफ्ट

गिफ्ट

” तुम भी अपने लिए कुछ मंगवा लो!”। ” नहीं! नहीं! .. ठीक है! It’s okay! ” नहीं कुछ तो..!” दअरसल.. मौका दीपावली का है.. और घर में सभी के लिए कोई न कोई गिफ्ट आ रहा था.. सो.. पतिदेव हमसे भी पूछ बैठे थे.. हालाँकि हमारे पास किसी भी चीज़ की...
हल्की-भारी

हल्की-भारी

” अरे!…..!! कित मर गई..!! मैं दब गया…!! आजा…..!!”। ” के सै! आऊँ सूं!”। ” या इतनी भारी रजाई गेर दी मेरे ऊपर! जमा दब की र गया मैं!’। ” कोई नी वा तो बदल जागी!”। और सासु माँ ने ससुरजी को अंदर से लाकर एक हल्की रजाई दे दी थी।...