by Amit Pandey | Mar 2, 2019 | Uncategorized
वजूद खतरे में है पर सपने सजाए जा रहे हैं नदी तालाब बन गई है पर किनारे सजाए जा रहे हैं
by Amit Pandey | Feb 24, 2019 | Uncategorized
वो कुमुद है न सूरज के खिल पायेगी मैं तो चंदा हूं कैसे वो मिल पाएगी जब मैं हो कर जवा चांदनी से खिला वो तो मारे हया से सिकुड़ जाएगी मैं तो चंदा हूं कैसे वह मिल पाएगी वह कुमुद है न सूरज के खिल पायेगी मैं तो चंदा हूं कैसे वो मिल पाएगी जब...
by Amit Pandey | Feb 21, 2019 | Uncategorized
by Amit Pandey | Feb 21, 2019 | Uncategorized