दस से पंद्रह मिनट के अंदर लड़की घर पर पुलिस लेकर आने वाली थी.. लेकिन यहाँ तो दस से पंद्रह मिनट कई घन्टों में बदल गए थे.. न कोई लड़की और न ही कोई पुलिस थी। बच्चे भी हार-थककर और इंतेज़ार कर अपने-अपने कमरों में चले गए थे। रमेश भी पुलिस के डर से भागा देर रात को घर पहुँच गया था।
प्यार मुहब्बत में तकरार अब पूरे घर में एक सनसनी खेज ख़बर बन गई थी। लोग हैरान हो रहे थे, सुनकर .. कि जिस लड़की के लिये रमेश सिर नीचे और पैर ऊपर कर खड़ा हो गया था.. उसनें रमेश को कैसे और क्यों छोड़ दिया था। समझने वाली बात तो यह थी.. कि रमेश और रंजना की मुहब्बत में फैक्ट्री के मालिक का रंग घुला हुआ था.. एक आम आदमी का नहीं! हकीकत नज़र आ रही थी, लड़की को! अब जगह-जगह परिवार और पैसों का रोना रोता फ़िर रहा था.. रमेश! माँ और भाई ने हिस्से को लेकर दुत्कार ही दिया था.. बेशक माँ का लाडला था.. और दर्शनाजी की ही शागिर्दी में फल-फूल रहा था, पर गुरु आख़िर गुरु ही होता है.. सारे दाव-पेच रमेश को सिखाने के बाद आख़िरी दाव दर्शनाजी ने आने वाले समय के लिये अपनी ही जेब में रख लिया था.. पूरी की पूरी बिसनेस woman थी, ये महिला।
इतना नाटक होने के बाद भी रमेश ने रंजना का पीछा नहीं छोड़ा था.. अभी-भी रंजना और रमेश की कोई कहानी शेष थी। शाम होते ही एकबार फ़िर उसके किराए के कमरे के बाहर पहुँच खड़ा हो गया था.. रमेश!
घर पहूँचने पर सुनीता के आगे रमेश ने एकबार फ़िर से एक कहानी अपनी और रंजना की गाकर सुनाई थी..
” अरे! पता है! मै इस बार सामने बिल्कुल नहीं पड़ा.. एक पेड़ के पीछे छुप कर देख रहा था.. सोचा! देखूँ कि आख़िर ये जाती कहाँ है! और किसके साथ है!”।
” अरे! देखूँ तो.. ये तो एक मोटरसाइकिल वाले के साथ ही लग ली थी..!! फ़िर क्या था.. पकड़ लिया था.. मैने! मुझे देखते ही भगने लगी थी.. तेज़ी से चलती हुई.. पता नहीं कहाँ जा रही थी.. मैं पीछे ही पहुँच गया था.. मैं फटाक से उसके मुहँ के आगे आकर खड़ा हो गया था.. और मैने पूछ ही लिया था.. कौन था.. ये मोटरसाइकिल वाला..!! इसके साथ कहाँ भागने की तैयारी थी..!”।
” भाई! था.. मेरा..!!”।
रंजना ने रमेश को जवाब दिया था।
रमेश बोला था..
” इसनें जैसे ही भाई बोला था, मेरा तो माथा वहीं ठनक गया था.. पर मैं चुप रहा.!! नहीं तो वहीं सड़क पर तमाशा शुरू कर देती! अरे! हाँ..!! याद आया एक बार और भी मेरे साथ ये गाड़ी में बैठी थी.. कोई साइड से इस को देखते हुए, निकला.. पूछने पर इसनें तब भी यही कहा था.. भाई है..!! मेरा! भगवान जाने कितने भाई हैं.. इसके!”।
हा! हा! हा! आ रहा है! न आप लोगों को हमारी तरह ही मज़ा खानदान में.. बस! तो इसी तरह से जुड़े रहिये हमेशा खानदान के साथ।