चाहे कोई भी त्यौहार या अवसर क्यों न हो! बढ़िया खुशबदार मसाले डाल.. सब्ज़ियों को ज़्याकेदार बनाया जाता है।

मुझे तो कैच के मसाले ही याद आते हैं.. बढ़िया शुद्ध और वाकई में महकदार जो होते हैं।

हाँ! पर एक जमाना वो भी हुआ करता था.. जब कैच के, M.D.H के या फ़िर evrest के मसाले सुनने में ही नहीं आते थे। कभी खाने की तैयारी करते वक्त हमनें माँ के मुहँ से यह सुना ही नहीं था,” अरे! वो फलाँ मसाला लाना! सब्जी में डालना है”।

बस! नमक, मिर्च या फ़िर वो गर्म मसाला सुनने में आया करता था।

माँ का हाथ ही मसालों का डिब्बा हुआ करता था.. उनके हाथ की सब्ज़ी मुहँ से बोला करती थी.. और हर ब्रैंड के मसालों का रंग अपने-आप ही आ जाया करता था।

आज रामनवमी के उपलक्ष में घर में प्रसाद बनाया, पर हलवे और चनों में माँ के हाथ वाले ब्रैंड और खुशबू की कमी एकबार फ़िर महसूस हुई थी।

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