होली के दिन

दिल खिल जाते

हैं

रंगों में रंग

मिल जाते हैं।

दिवाली की तरह ही.. होली भी भारतवर्ष का एक बड़ा और महत्वपूर्ण त्यौहार है।

होली भी बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।

जब से होश संभाला.. होली और दिवाली दोनों ही त्यौहार मन को ख़ूब भाए। पर होली तो जैसे मन में कुछ ज़्यादा ही बस गयी।

स्कूल के समय में तो होली आने से कुछ दिन पहले से ही.. रंगों को छोड़ो, स्कूल शर्ट पर इंक छिड़कने का काम शुरू हो जाया करता था। इंक वाला शर्ट धुलता नहीं था.. माँ ग़ुस्से में अलग धुलाई कर दिया करतीं थीं।

ध्यान तो बहुत रखते थे.. पर फ़िर भी कोई न कोई इंक छिड़क ” हैप्पी होली” कर ही दिया करता था।

फ़िर तो होली के एक दिन पहले छुट्टी के समय स्कूल के गेट पर जमकर रंगों से होली खेल घर आते थे। कुछ बच्चे तो डर के मारे स्कूल ही नहीं आते.. पर हमनें हमेशा दोस्तों के संग गेट के बाहर रँगों के मज़े लिए, कभी छुट्टी नहीं की।

फ़िर घर में तो पकवानों और आस-पड़ोस रिश्तेदारों के संग त्यौहार मनता ही था।

छत्त पर खड़े हो. पानी के गुब्बारे भर-भर मारने का मज़ा पिचकारी वाली होली से ज़्यादा मज़ेदार लगता था।

सुबह ही बाल्टी भर, पानी के गुब्बारे तैयार कर लिया करते थे। पानी के गुब्बारे भरने की टेंशन कुछ अलग सी प्यारी हुआ करती थी।

होली के रँगों में रँगता जीवन का सफ़र अब यहाँ तक पहुंच गया है। 

जीवन मे उतार-चढ़ाव चाहे कुछ भी क्यों न हों.. होली के रंगों की तरह सुन्दर होते हैं।

जीवन का हर पढ़ाव किसी न किसी सुन्दर रँग का प्रतीक होता है।

मित्रों यह जीवन और इससे जुड़ा संघर्ष भी होली के रँगों की तरह ही सुंदर है। इस अनमोल जीवन का यूँहीं आंनद उठाएं और होली के सुंदर रँगों जैसा अपने जीवन के प्रति दृष्टिकोण रखते हुए.. आनंद उठाएं।

आप सभी को होली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं!!

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