आते-जाते मौसम

प्यारे लगते हैं

हर मौसम का 

अपना एक सलीका है

महमानों की तरह

दस्तक देते हैं

हर साल के चार-चार

महीनों में एक

नया मेहमान रूपी

मौसम दस्तक देता है

सच! इस

मौसम रूपी

हर नए मेहमान

का अपना

ही एक बसेरा है

रिश्ते की

एक अनोखी

डोर से

बन्ध हर

मौसम अपने

जाते -जाते

अपनी याद

दे जाता है

सच! रिश्तों

से बनकर

आते-जाते

ये मौसम

कितने प्यारे

और कितने

अपने लगते हैं

आते हैं

जब मौसम

प्यारे लगते हैं

जाते हुए

मन कहता है

कितने प्यारे

ये वाले थे

मौसम तुम

अगले

साल इंतज़ार

रहेगा

हमसे मिलने

जल्दी आना तुम।

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