” अरे वाह! इतनी बड़ी और बढ़िया गोभी..! ज़रुर महँगी होंगी!।

” अरे! कहाँ..! अब तो दाम कम हो गए हैं! गोभी के.. वो तो मैं पहले ही लाया करता था.. तीस-तीस चालीस-चालीस रुपए में.. अब तो दस-दस के दो बड़े-बड़े फूल मिल रहे हैं। और, अगर और देर रात को जाऊँ.. तो चार फूल भी मिल जाते हैं”।

दअरसल अब तो गोभी के दाम कम हो गए हैं.. और हमारी सबकी मनपसंद सब्ज़ी गोभी ही है।

सीजन शुरू होते ही, हमारे यहाँ आलू-गोभी मस्त बनने शुरू हो जाते हैं। चाहे कितनी भी महँगी शुरुआत में क्यों न हो।

बड़े-बड़े गोभी के फूल, दस-दस रुपये में बिक़ते देख.. मुहँ में पानी आ गया था।

पसंद कुछ ज़्यादा ही है.. हमें गोभी! 

अब सब्ज़ी भी कितनी बनाएं!

बस! गोभी के प्यार ने माँ की याद दिला दी थी..

और हमनें मोटे-मोटे गोभी के फूल अलग-अलग कर हल्का सा गर्म पानी में डाल.. पाँच मिनट के लिए सुखा.. सरसों का तेल, राई नमक व लाल-मिर्च चटक डाल.. गोभी का आचार रोज़ खाने के लिए.. इम्रतवाँन भर तैयार कर लिया था। हरी मिर्च का प्रयोग नहीं किया था।

गला हुआ नहीं! बल्कि हमारा अचार मस्त कचर-कचर वाली आवाज़ कर ख़ाने वाला तैयार हुआ था।

हमारे अचार की recepie कोई ख़ास न होकर.. स्वाद मस्त लिए हुए था। 

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