आज दिन तो मकर सक्रांति का है.. पर हमनें तिल के लड्डू, गाजर का हलवा वगरैह न बनाते हुए, कढ़ी चावल ही बना डाले हैं।
मटर वाले पुलाव संग कढ़ी पकौड़ा।
दअरसल जब भी हम कढ़ी बनाते हैं..
माँ के हाथ के कढ़ी वाले पकौड़ों का हल्का खट्टा सा रस मुहँ में भर जाता है.. जब भी हम अपनी कढ़ी के लिए पकौड़े तलते हैं.. आलू और हरी मिर्च वाले पकौड़े होते हैं, हमारे! और माँ वाली कढ़ी के पकौड़े तो प्लैन ही हुआ करते थे… सिर्फ़ बेसन के। आलू और मिर्च वगरैह का चक्कर नहीं डालतीं थीं, वो।
हमारी वाली कढ़ी थोड़ी ज़्यादा खट्टी रहती है, पर माँ की कढ़ी हल्की खट्टी होती थी.. और वो उसमें सादे मसालेदार पकौड़े लाजवाब हुआ करते थे।
यहाँ के फेमस कढ़ी-चावल, वहाँ के फेमस कढ़ी चावल पर हमें तो वो माँ के हाथ की कढ़ी और प्याज़ वाले ब्राउन कलर के चावल ही आजतक लाजवाब लगते हैं।