हरे-भरे मटर के दानों से घिरा होता है.. सर्दियों का यह सीजन। अब जब मटर की बात होती है.. तो मटर पनीर का स्वाद दिमाग़ में नहीं आए.. ऐसा हो ही नहीं सकता।
मुझे मटर-पनीर खाने का कम और बनाने का शौक हमेशा से ही रहा है।
छुटपन में तो माँ के हाथ का ही स्वाद रहा.. पर जब से होश संभाला बस! मैने ख़ुद ही.. जब भी कभी यह सब्ज़ी घर में बनती.. हमेशा ही बनाई।
सब्ज़ी के सही तरीके को बनाने में कभी से ज़्यादा दिमाग़ नहीं लगाया था..
बस! पनीर फ्राई किया.. प्याज़ टमाटर का नॉर्मल सा मसाला भूना.. नमक मिर्च और बाकी के एकाध मसाले डाले.. और मेरे हिसाब से टेस्टी मटर-पनीर तैयार हो जाया करता था.. और सभी परिवार के सदस्य सब्ज़ी को खा-कर वाह-वाह भी कर दिया करते थे..” भई! ऐसा मटर-पनीर मैने आजतक नहीं खाया..वाह!”।
पिताजी की प्यार भरी तारीफ़ हुआ करती थी।
धीरे-धीरे यह लगने लगा.. सिर्फ़ मुझे.. कि, अरे! यह जो पनीर मैं बना रहीं हूँ.. इसमें पनीर सब्ज़ी में खाने में सॉफ्ट नहीं, बल्कि थोड़ा खींचा-खींचा सा लगता है.. फ़िर यह ग़लती सुधारने के लिए.. कहीं पढ़ा.. और अब मै जो पनीर सब्ज़ी के लिए.. फ्राई किया करती थी.. उस पनीर को फ्राई कर.. पहले गुनगुने पानी में भिगोने लगी थी.. उसके बाद हल्का सा प्रेस कर सब्ज़ी में डाल दिया करती.. जिससे पनीर सॉफ्ट रहने लगा था.. और अब मेरे हिसाब से मटर-पनीर की सब्ज़ी एकदम परफ़ेक्ट थी..
आने-जाने वाले घर में महमानों के लिए भी मैं ही यह सब्ज़ी बनाऊं.. यही सबकी फ़रमाइश रहा करती थी।
विवाह के वाद तौर-तरीके बदले मेरे.. पर मटर-पनीर अब भी वही था.. बस,! इस मटर पनीर में अब प्याज़ की ग्रेवी तंग करने लगी थी.. क्यों पतिदेव और बच्चे प्याज़ पसंद ही नहीं करते थे।
अब खाने-पीने के शौकीन होने के कारण कुछ दिमाग़ मेरा और कुछ पतिदेव का चला.. और हमनें मिलकर कुछ इस तरह से एकदम बाज़ारी पनीर तैयार कर डाला था..
इस दाम्पत्य की खुशबू लिए हुए.. मटर-पनीर में हमनें पनीर को बिल्कुल भी फ्राई न करते हुए.. मीडियम साइज के टुकड़ों में काटकर अलग रख लिया था.. प्याज़ का तो कोई रोल ही नहीं था.. इसलिए इस आधा किलो पनीर और करीबन एक से दो किलो ताज़ी वाली मटर के दानों में हमनें बढ़िया अच्छे मोटे करीबन एक किलो लाल टमाटर को मिक्सी में पीस उसकी प्यूरी तैयार कर लीI थी।
गैस पर हमनें कढ़ाई न चढ़ाकर कुकर चढ़ाया था.. सबसे पहले तेल डालकर गर्म किया.. उसमें ताज़े मटर के दाने थोड़ा नमक डालकर पहले पका लिए.. अब उन्हें बाहर निकाल.. उसी तेल में हमनें अपनी टमाटर की प्यूरी को पकाया.. जब तक की चारों तरफ से तेल बाहर नहीं आ गया था.. प्यूरि पकने के बाद हमनें इसमें लाल मिर्च पाउडर, हल्दी गर्म मसाला और पनीर मसाले का पूरा एक पैकेट खोल कर डाल दिया था. नमक और थोड़ा पानी डालकर अच्छे से अपना मसाला भूना.. मसाला पकने के बाद.. एक बड़ी कटोरी घर में ही रखी ताज़ी मलाई डालकर सारे मिश्रण को चमचे से चलाते रहे.. ताकी सब अच्छे से रल-मिल जाए.. और आख़िर में तली हुए मटर के दाने और पनीर डालकर और थोड़ा गाढ़ा रखते हुए.. पानी डालकर करीबन गैस को मीडियम फ्लेम पर रखते हुए.. आधे घन्टे बीच-बीच में चलाते हुए पकाया था।
स्वादिष्ट पारिवारिक मटर-पनीर अब तैयार था.. जिसकी खासियत सुहाना का मटर-पनीर मसाले का एक पूरा पैकेट था..
इस सुहाना मटर-पनीर मसाले ने हमारे पनीर को एकदम बाज़ारी ज़्याके से तर-बतर कर दिया था।
अब तो मटर-पनीर ने मुझे एक बात हमेशा के लिए.. सिखाकर ही छोड़ी थी.. कि टमाटर अपनी मर्ज़ी से कम या ज़्यादा हो सकते हैं.. पर मटर-पनीर के लज़ीज़ स्वाद के पीछे सुहाना मटर- पनीर मसाला और घर की ताज़ी मलाई नहीं तो बाज़ार से लाई हुई.. क्रीम का हाथ होता है.. नमक मिर्च तो पसंद के होते ही हैं।
इस वाली मटर-पनीर की विधि ने ससुराल में एक मैडल दिलवा ही दिया था।