बहुत पुरानी कहानी है मित्रों,

बहुत पुराना यह क़िस्सा है,

गर्मी के दिन होते थे वो,

मस्त दोपहरी कटती थी,

चम्पक बिल्लू पिंकी संग वो,

लोट-पोट में बस्ती थी I

चाचा-चौधरी राजा होते,

जिनकी मूछें देख-देख,

हम मुस्काते थे,

मोटू-पतलू संग रहते थे,

जो सदा हँसाया करते थे I

विक्रम बैताल के तो क्या थे कहने!

सिंघासन बत्तीसी संग,

दिन सुनहरे निकलते थे,

फैंटम स्पाइडर मैन की बात निराली,

कॉमिक की दुनिया में हम बस्ते थे I

किसके पास है ढ़ेर कॉमिक्स,

यही होड़ हम रखते थे,

पिंकी बिल्लू, मोटू-पतलू आज,

रह – रह याद आते हैं,

सच! कॉमिक्स का वो मस्त ज़माना,

याद आज भी हम करते हैं।

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