मैं तुझसे
एकबार फ़िर
से मिलना
चाहती हूँ
ए ज़िन्दगी!
इस बार
तो जो
हुआ सो हुआ
जो होना
है वो
भी हो
ही जाएगा
लेकिन पर
फिर भी
इसी रंग
रूप
और परिवेश
को लिए
मैं तेरे
अनुरूप
नहीं
अपने अनुरूप
से तुझसे
एकबार फ़िर
मिलना चाहती
हूँ.. ए
ज़िन्दगी!
मैं अपनी
इसी कहानी
को दोबारा
दोहराना चाहती
हूँ.. ए
ज़िन्दगी!
बस! तू
इतना कर
कि अगली
बार भी
मुझे मानव
जीवन में
इसी रूप
में उतारना
तू ए.. ज़िन्दगी!