गर्मी का
मौसम था
आया
उमंग और छुट्टी
संग में
लाया
मायके जाकर
हमनें भी
जो
कुल्फ़ी का
था! रंग
जमाया
भरा पतीला
दूधों का
जब
चूल्हों रखा
गाढ़ा होने
दशहरी आम
की कुल्फ़ी
बनेगी
हमसे बोली
मइया प्यारी!
हाँ! हाँ!
मिला देंगे
आख़िर में
गुदा इसमें
दूध होने
दो तुम
गाढ़ा प्यारी
कुल्फ़ी का
था रंग
जमाया
भर-भर
साँचे लुफ़्त
उठाया
दो मैंने
तो चार
उनने खाया
रिश्तों में
ठंडक है
आयी
मीठी कुल्फ़ी
सबको भायी!
वाह! वाह!
करते प्यार
बढ़ा था
हर रिश्ता
मिठास लिए
साँचे में
ढला था
परिवार एक
हो रहा
ऐसी मीठी
ठंडी
कुल्फ़ी थी
वो आई।