” अरी! लगाइए! न्यूज़.! देखूँ ज़रा आज न्यूज़ में क्या है..!”।

एक ज़माने में जब दूरदर्शन पर समाचारों का वक्त हुआ करता था.. तो घर में माहौल सा बंध जाया करता था.. विशेषकर जब हिंदी के समाचारों को पढ़ने.. सलमा सुल्तान या फ़िर अविनाश कौर सरीन जैसी योग्य समाचार वक्ता आया करतीं थीं.. सरला माहेश्वरी, साधना श्रीवास्तव योग्य और आकर्षक तो सभी थीं, और..

उनके समाचार पढ़ने का तरीका भी निराला था.. पर सलमा सुल्तान जी के बालों में लगने वाले गुलाब की बात ही कुछ और हुआ करती थी। समाचार कम और उनके उस गुलाब की खूबसूरती को लेकर ज़्यादा समाचार सुनने की दीवानगी रहा करती थी। सारा हॉल सलमा जी को गुलाब सहित देखने के लिए भर जाया करता था।

न्यूज़ चैनलों पर जो सनाचार वक्ता आज भी आतीं हैं.. या फ़िर जो आते हैं.. देखने में या फ़िर समाचार पेश करने में कम आकर्षक नहीं होते.. 

पर फ़िर भी वो समाचार सुनने की वैसी वाली रौनक अब खो सी गयी है।

कुछ अंग्रेज़ी के समाचार वक्ता भी काफ़ी आकर्षित करते थे.. जैसे रिनी simon खन्ना, उषा अल्वर्करक और कोमल G. B सिंह इतियादी।

कहानी वही होतीं हैं! बातें हर दौर की वही होती हैं.. पर कोई-कोई दौर और कोई-कोई कहानी यादगार बन कर रह जातीं हैं।

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