जय देव! जय देव! जय मंगलमूर्ति

दर्शन करने से कामना पूर्ति

जय देव! जय देव!

हमारा संदेश.. हरा-भरा मध्यप्रदेश! जी हाँ! लगातार हो रही बारिश के साथ मध्यप्रदेश का यह खूबसूरत सा शहर भोपाल और भी खूबसूरत होता जा रहा है.. चारों तरफ़ से झीलों से घिरा हुआ यह शहर हरी-भरी वादियाँ लिए अब गणपति के आने का स्वागत कर रहा है। जगह-जगह शहर में पंडाल बना कर गणनायक के स्वागत की तैयारियाँ की जा रही हैं। पंडालों को हर साल सुन्दर से सुन्दर और भव्य गणेश की प्रतिमा बिठाकर सजाया जाता है।

बप्पा के आने की ख़ुशी घरों में भी आ जाती है.. और मेहमान के आने के स्वागत का इंतज़ाम होने लगता है। हम भी अपने घर में पूरे आदर-सत्कार के साथ गणेश जी को बिठाते हैं.. और मेहमान का स्वागत घर के बने लड्डुओं से करते हैं..  वैसे गणेशजी की पसंद मोदक है.. जो हमारे यहाँ ज़रा कम प्रचिलित हैं.. और हमें बनाने भी नहीं आते.. इसलिए मेहमान जितने भी दिन घर में विराजमान रहते हैं.. उनका स्वागत रोज़ शाम की आरती व लड्डुओं के भोग के साथ करते हैं।

पूरे बारह दिन अपना आशीर्वाद हमें देने के बाद.. गणेश जी को विर्सजन के लिए ले जाते हैं। 

बप्पा अपने साथ ख़ुशियों का ढ़ेर लेकर और अपना आशीर्वाद पीछे छोड़कर चले जाते हैं।

बप्पा जाते समय हमें यही संदेश देते हैं,” मेरा इंतेज़ार करना! फ़िर आऊँगा अगले बरस!”।

और विदाई देते वक्त विसर्जन के समय हम भी बप्पा से अपने मन की बात कहते हैं..

गणपति बप्पा मोरया

मंगल मूर्ति मोरया

अगले बरस तू जल्दी आ..!!

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