” गुड मॉर्निंग सर!”
” गुड मॉर्निंग.. आप क्लास में कैसे..? आज सैटरडे है! आज तो P.T period है”।
” yes, सर्.. पर आज हमनें क्लास की सफ़ाई की ड्यूटी ली है!”।
“O.K”
और हमारे गेम्स टीचर क्लास से हमसे पूछताछ कर चले जाते हैं।
बात उन दिनों की है.. जब हम स्कूल में पढ़ा करते थे.. और जब भी कभी P.T पीरियड हुआ करता था.. तो हम यूँहीं क्लास की सफ़ाई की ड्यूटी ले लिया करते थे.. या फ़िर कोई दूसरा बहाना कर क्लास में बैठ जाया करते.. पर P.T से हम सदा बचते रहे।
आज अचानक से ही सुबह जब बिटिया ने अपने स्कूल में P.T पीरियड के लिए ट्रेक सूट माँगा.. तो अपना क़िस्सा याद कर बैठे थे..
वाकई! वो भी क्या दिन थे.. मस्ती भरे!
स्कूल में कभी भी हमनें कोई भी P.T पीरियड अटेंड नहीं किया.. खेल-कूद के नाम पर तो एकदम ज़ीरो हुआ करते थे.. पर फ़िर भी मित्रों स्कूल के ज़माने में हमारा भी एक रुतबा हुआ करता था.. बिना ही कुछ किए.. गेम्स टीचर हमें हर-साल A grade दे ही दिया करते थे।
बच्चों को स्कूल से आता-जाता देख.. अपना बीता हुआ.. कल और वो स्कूल का ज़माना याद आ जाता है.. कितनी बिंदास और मस्त ज़िन्दगी थी.. अपने आप को किसी शहंशाह से कम कभी न समझा था।
शहंशाही में वक्त कब बीत गया.. पता ही नहीं चला.. पर मुड़ कर एकबार फ़िर से अपनी P.T क्लास गोल कर अपने उसी जहाँ में जाकर मस्ती मारने का मन हो आता है।