वो कुमुद है न सूरज के खिल पायेगी
मैं तो चंदा हूं कैसे वो मिल पाएगी
जब मैं हो कर जवा चांदनी से खिला
वो तो मारे हया से सिकुड़ जाएगी
मैं तो चंदा हूं कैसे वह मिल पाएगी
वह कुमुद है न सूरज के खिल पायेगी
मैं तो चंदा हूं कैसे वो मिल पाएगी
जब वो खिल के जवा बन गई मधुमई
मैं तो खुद के ही कारण से छिपता गया
मैं तो चंदा हूं सूरज ना बन पाऊंगा
वो कुमुद है ना मुझसे वो मिल पाएगी
वो निशा से डरे मैं निशा का प्रभा
वो तो आकर गले यू न लग पाएगी
मैं तो चंदा हूं कैसे वो मिल पाएगी
वो कुमुद है न सूरज के खिल पाएगी
मैं तो चंदा हू कैसे वो मिल पाएगी
वो भ्रमर की नशा मैं चांदनी का सुरूर
यूं न धोखा हम देकर ही मिल पाएंगे
वो कुमुद है न सूरज के खिल पायगी
मैं तो चंदा हूं कैसे वह मिल पाएगी