क्या बताये मिले हैं दोस्त हमे कैसे कैसे।
कुछ दुआओ जैसे तो कुछ दवाओं जैसे ।दीदार एक तेरा इबादत बना है बस मेरी
शख्स तो मिलते है रोज मुझे कैसे कैसे।हम ने ही गिला न कभी तुम से है किया
अजीयते सह गये सारी , हम जैसे तैसे।सादगी मेरी देखो तो खुदा तुमको माना,
झुके सजदे में रहे हम तेरे आगे कुछ ऐसे।मेरी महफिल से वो एक शख्स ऐसे उठा।
कारवां साँसों का साथ ही ले गया हो जैसे।
Kaur surinder