पैसा! पैसा! पैसा!

भूख से रो रहा

वो बच्चा

पर देश में

हो रहा

पैसा!पैसा!

भगवान बने

हैं नेतागण जो

भर रहे

तिजोरियाँ अपनी

वो

ऐसी भी

क्या भूख

लगी है

पेट से बाहर

निकल गए

जो

भ्रष्ट नेताओं

के बच्चे

माँग कर

रहे रोटी

के स्थान

पर हीरे-मोती वो

गरीब का

बच्चा रोता

पेट पकड़कर

बोलता बापू

भूखा हूँ

मैं! लाकर

दे दो

कहाँ है! रोटी

बंद करो

यह नेतागिरी

बंद करो

भ्रस्ष्टाचारी

खोल तिजोरियाँ

नेताओं की

अब 

दे दो

दौलत उन

बच्चों में

सारी

शिक्षा रोटी

को तरस 

रहे जो

नग्न खड़े 

वो तरस

रहे जो

मिट्टी में

पड़ा भविष्य 

है

भ्रष्ट नेता

मना रहे

दिवाली

हमें कदम

उठाने होंगे

नेता चुन

कर लाने

होंगें

आओ करें 

कल्पना उस

देश की

जहाँ भरी

हों थाली

सबकी

बच्चा-बच्चा

कलम से लिखता

नवी तकदीर

प्यारे भारतवर्ष की।

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