लाहौर हवाई अड्डे पर उतरते वक्त केसरी का चेहरा चिरागों सा जल रहा था | अपने ओवरकोट की भीतरी जेब को उसने हवाई जहाज से उतरते वक्त महसूसा था | उसे कोई अनमोल खजाना सीने में समां गया लगा था | एक – वर्षों से छेड़े अभियान का ये अंतिम काम था | इस खजाने को प्राप्त करने की वो तमाम .. कोशिशें केसरी के दिमाग में एकबारगी कौंध .. सी जाती हैं !
ऑफिसरों से ज्यादा उन की पत्नियाँ महत्वपूर्ण होती हैं !!