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रजिया भाग 36

रज़िया, Razia

टैड उतावली में था। वह जानता था कि जालिम दुनिया के लिए एक संगीन खतरा था। और खास कर अमेरिका के लिए तो वो जानी दुश्मन जैसा ही था। अगर जालिम जीता तो अमेरिका का नीचे जाना तय था।

जालिम की कुछ दलीलें तो सटीक थीं। ठीक भी थीं। जनता के लिए तो एक नशा जैसी थीं। जानता था जालिम कि पब्लिक पागल होती है। वह अपना मरना जीना तक नहीं जानती। सब भेड़ चाल है। बुराई भी एक बार पॉपूलर हो जाए तो फिर उसे रोकना दूभर हो जाता है। जालिम भी रुकेगा नहीं .. अगर ..

“मैं चाहता हूँ कि सरकार जालिम का सीरियसली संज्ञान ले।” टैड ने आदेश दिए थे। “योजना बनाएं कि कैसे जालिम के जिहाद को रोका जाए। जालिम का मुख्य टारगेट अमेरिका ही तो था।”

“लेकिन सर, अभी तक जमीन पर तो जालिम है ही नहीं।” आपत्ति उठाई थी सिक्योरिटी हैड ने। “सब हवा हवाई बातें हैं। अफवाहें हैं। है ही नहीं कोई जालिम। कहां है समर कोट, कोई नहीं जानता। और न ये पता है कि जालिम ..”

“तो पता करो।” टैड बिगड़ा था। “पूरा डिपार्टमेंट मुफ्त की रोटियां तोड़ता है। हैरानी की बात है कि जालिम जैसे जोखिम को आप लोग भूले बैठे हैं। मुझे जालिम से लड़ने की पूरी प्लान चाहिए।” टैड की मांग थी।

जालिम को लेकर अब पूरे अमेरिका में खलबली मच गई थी।

“अमेरिका का भी दुश्मन आ गया है।” खबरें फैलने लगी थीं। “सोने के सिक्के आ रहे हैं। डॉलर तो भागेगा।” अफवाहें चल पड़ी थीं। “पूंजि पतियों का भी अब अंत आएगा।” लोग बतियाने लगे थे।

उड़ती अफवाहों को बेअसर करने के सरकार के प्रयास व्यर्थ जा रहे थे। जितने मुंह उतनी बातें बाजार में मुफ्त बिक रही थीं। चटकारे ले-ले कर लोग आनंद लोक जैसी उड़ती परिकल्पनाओं का आनंद उठा रहे थे। ढ़ूंढ-ढ़ूढ कर, मर्जी हो जब तक नहाओ नशे में। सैक्स फ्री। डू द वे यू लाइक। शासक को तो ऐसा ही होना चाहिए – जनता की डिमांंड थी।

दूसरी ओर जालिम के ढाए जुल्मों की चर्चा भी चल पड़ी थी। जालिम का खौफ भी जनता पर तारी होता जा रहा था। अपराध करने पर माफी नहीं थी – जालिम राज में। ताउम्र गुलाम बन कर सरकार की बेगार करनी पड़ती थी। नो फ्रीडम। नो लिबर्टी।

लिबर्टी जो अमेरिका की पहली पहचान थी – उसी पर रोक लग जानी थी।

टैड ने सर रॉजर्स को मशविदे के लिए बुला लिया था।

“समर कोट कहां है सर – किसी को भी पता नहीं लग पा रहा है।” टैड ने सरकार की असमर्थता जताई थी। “लगता है सर ये जालिम निरी अफवाह है।” टैड ने सर रॉजर्स की आंखों में देखा था।

“इसी बात पर लुट जाएगा अमेरिका।” सर रॉजर्स की आवाज तल्ख थी। “मुझे पक्का आभास है टैड कि जालिम है और वह कार्य रत है। हम उसके बुने जाल को काट नहीं पा रहे हैं।”

“तो क्या करें?” टैड नर्वस था।

“सरकार स्काई लार्क को सपोर्ट दे। ऑल ओवर द ग्लोब जहां भी जरूरत हो अमेरिका स्काई लार्क की सपोर्ट में रहे – टैक्टीकली और फाइनैनश्यली।” सर रॉजर्स की मांग थी।

“ये तो स्वीकार है सर। मैं इतना तो आपके लिए अवश्य कर पाउंगा।” टैड ने हामी भरी थी।

जालिम से लड़ने की रणनीति तय हो गई थी।

सर रॉजर्स ने स्काई लार्क को जब ये संदेश दिया था तो बल्लियों कूदे थे लोग।

लेकिन बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा – प्रश्न अभी भी अनुत्तरित खड़ा था। कैसे परास्त करेंगे जालिम को – यह तो अभी तक किसी को ज्ञात नहीं था। सर रॉजर्स भी जानते थे कि जालिम तक पहुंचना लोहे के चने चबाना जैसा था। लेकिन ..

“कैसे लड़ें जालिम से – मुझे लड़ने की कम्प्लीट प्लान चाहिए।” सर रॉजर्स ने स्काई लार्क के सामने शर्त रख दी थी। “आई वॉन्ट वॉलेंटियर्स। टैक दी चैलेंज बॉयज।” चहके थे सर रॉजर्स।

लेकिन स्काई लार्क के लोग एक दूसरे का मुंह ताक रहे थे। अभी तक जालिम मात्र हवा था – ठोस प्रमाण जैसा कुछ न था।

स्काई लार्क के सारे सेनापती उदास निराश थे। अभी तक जालिम उनकी पहुंच से परे था। सभी निराशा के अंधकार में यूं ही की दौड़ भाग में लगे थे। उन्हें पहली बार एहसास हो रहा था कि जासूसी कोई सहल काम न था। सोफी और राहुल की हंसी गायब थी तो लैरी के पैरों ने भी जवाब दे दिया था। सर रॉजर्स अलग से अपनी धुन बुन में लगे थे। सारा का सारा उत्तर दायित्व अब उन्हीं पर था। उन्होंने शाम के चार बजे चाय पर मींटिंग बुलाई थी। वह चाहते थे कि कोई प्लान बने और स्काई लार्क का मिशन आगे बढ़े।

“है कोई वॉलेंटियर?” सर रॉजर्स ने चाय की चुस्की लेते हुए पूछा था। “है कोई प्लान?” उनका प्रश्न था।

सब चुप थे। सब आंखें चुरा रहे थे। सोफी और राहुल के भी चेहरे उड़े हुए थे। लैरी की निगाहें जमीन में गढ़ी थीं। एक मूडी ही था जो मस्त बैठा था और मुसकुरा रहा था।

“चलो। काम शुरू करते हैं।” सर रॉजर्स ने तनिक मुसकुरा कर कहा था। “कहां है ये समर कोट जहां जालिम रहता है?” सर रॉजर्स ने प्रश्न पूछा था।

कोई उत्तर न आया था।

“किसने देखा है समर कोट?” सर रॉजर्स का दूसरा प्रश्न था।

“बतासो और कालिया ने देखा है समर कोट!” इस बार उत्तर आया था।

“पता ..? रास्ता?” सर रॉजर्स अब गंभीर थे।

“पता तो पता नहीं लेकिन रास्ता कालिया के ऊंटों ने देखा है।” राहुल ने उत्तर दिया था।

सभी जमा सेनापती जोरों से हंसे थे। ये एक मखौल ही था कि रास्ता ऊंटों को पता था और सच में कहीं समर कोट था।

“इसका अर्थ हुआ कि समर कोट है। जालिम वहां रहता है।” सर रॉजर्स ने भी बात की पुष्टि की थी। “सोफी नोट डाउन द फैक्ट्स।” उन्होंने आदेश दिया था। “अब हमारे पास तीन फैक्ट्स और हैं। एक – फ्रांस में जालिम का बेटा रस्टी राज करता है। और इंडोनेशिया में उसके दूसरे बेटे का राज है तथा रूस में उसकी बेटी डूडो सत्ता संभालती है। इसके अलावा हैं कोई और फैक्ट्स?” सर रॉजर्स पूछ रहे थे।

“सर, दिल्ली और हैदराबाद में जालिम का आना जाना है।” माइक ने बताया था।

“यस-यस!” सर रॉजर्स ने स्वीकार में सर हिलाया था। “सोफी, नोट डाउन दिल्ली और हैदराबाद।” सर रॉजर्स ने आदेश दिए थे। “इसके अलावा और कोई फैक्ट्स?” उन्होंने फिर से पूछा था।

जब और कोई फैक्ट सामने नहीं आया था तो सर रॉजर्स ने दूसरा कदम आगे बढ़ाया था। सभी जमा सेनापतियों में जान लौट आई थी। उन्हें लगा था कुछ हो रहा था और कुछ होने वाला था।

“इन फैक्ट्स को गौर से देखें तो हमें तीन ब्लॉक अलग-अलग दिखाई देते हैं।” सर रॉजर्स अब फैक्ट्स का विश्लेषण कर रहे थे। “एक – समर कोट है। ऊंटों से वहां पहुंचा जा सकता है। दो – दिल्ली और हैदराबाद है। ये हमें ज्ञात है। तीन – हमारे पास तीन लोग हैं जो जालिम के तीन राजाओं और रानी के बारे जानते हैं।” सर रॉजर्स ने नजरें उठा कर अपने जमा जासूसों को देखा था। “अब हमारी मंजिल आसान है दोस्तों।” वो हंसे थे। “तीन टीमें बनती हैं।” वो बताने लगे थे। “निर्णय करते हैं कि कौन सी टीम किसके पास होगी। उसके बाद ही योजनाएं बनेंगी।” कह कर वो चुप हो गए थे।

सभी जमा जासूसों के बीच खुसुर पुसुर चल पड़ी थी। अब सबके कान खड़े हो गए थे। सबसे पहले सोफी बोल पड़ी थी।

“दिल्ली हैदराबाद हमारा रहा। मैं और राहुल संभालेंगे ये मोर्चा।” सोफी ने ऐलान किया था।

“और मैं इन तीनों डिफैक्टर्स को लेकर बाकी आठ राजा रानियों का मैप बना लेता हूँ।” माइक ने अपना मत बताया था।

“और बतासो और कालिया सही वक्त पर ऊंटों पर सवार हो समर कोट पहुंच जाएं।” सर रॉजर्स ने अंतिम सलाह दी थी।

स्काई लार्क की यह पहली सफलता थी।

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

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