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रजिया भाग 34

रज़िया, Razia

“टैड को स्कौरपियो बियर पीना बेहद पसंद था।” सर रॉजर्स सोचे जा रहे थे। “तब हम सब यंग थे। सब के अपने-अपने फैड थे। मैं भी व्सिस्की डॉन पीने के लिए बदनाम था।” उन्हें याद आता है। “मेरे गम गहरे थे। ए ब्रोकन मैरिज किसी हादसे से कम कहां होती है। रह-रह मुझे सोफी और उसकी मां ..” सर रॉजर्स को उनका विगत एक बार फिर सताने लगा था। “लड़ाई लड़ते रहना ही मेरा भाग्य है शायद।” उन्होंने अपने दुर्भाग्य से फिर से समझौता कर लिया था।

टैड भी बहुत बूढ़ा हो गया था। दोनों बूढ़े बहुत दिन के बाद बांहें पसार कर मिले थे।

“आप मुझे मुबारकबाद देने तक नहीं आए, सर।” टैड ने सीधा उलाहना दिया था रॉजर्स को।

“जानता तो है तू यार कि मैं ..”

“अब गम काहे का? बात गई रात गई! हाहाहा!” जोरों से हंसा था टैड। “ये प्रेम प्यार सब चौंचले होते हैं सर – जवानी के चौंचले।” वह कहता रहा था। “क्या लाए हो ब्रीफकेस में भर कर?” उसका प्रश्न था।

“सांप है – बिच्छू हैं और कुछ शेर और भेड़िये भी हैं।” सर रॉजर्स ने विनोद पूर्वक कहा था। “अगली लड़ाई अब इन से होगी टैड।” उन्होंने इशारा किया था। “बैटल फील्ड का रूप स्वरूप ही बदल गया मित्र।”

“लड़ने का मन भी कहां बचा है सर।” टैड ने अपना पक्ष बताया था। “दो पल की शांति ..”

“ले बैठेगी टैड। मैं चेताने आया हूँ। मैं बताने आया हूँ कि अमेरिका में हमारी ही नाक के नीचे हो सकता है कोई आ बैठा हो जो हमसे देश छीनना चाहता हो।”

“कौन है सर?”

“जालिम!”

“अरे, ये नाम तो पहले भी सामने आया था। लेकिन न कोई सर न कोई पैर। निरी नॉनसेंस! मैंने तो भगा दिया था उस माइक को। पर है क्या माजरा?”

“माजरा ये कि जालिम पूरी दुनिया को समेट लेना चाहता है। अमेरिका से अमेरिका को छीन लेना चाहता है। हमारी बदनामी कर हमारे ही लोगों को हमारे खिलाफ खड़ा कर हमसे राज पाट छीन लेना चाहता है।”

“मैं समझा नहीं सर।”

“मेरे पास तो एवीडेंस है टैड। मैं खाली हाथ नहीं आया हूँ और बताने आया हूँ कि हमें जल्दी, बहुत जल्दी जालिम से युद्ध करना होगा। जालिम ने चुपचाप अपनी जड़ें पूरे ग्लोब में जमा ली हैं। ही हैज बिकम क कल्ट। लोग उसे मसीहा मान बैठे हैं।”

“क्या कहते हैं आप?” टैड हैरान था। “मैं सोता तो नहीं हूँ कुर्सी पर बैठ कर और पूरी दुनिया की खबर भी रखता हूँ। लेकिन ये क्या?”

“ये कि हो सकता है जालिम ने अपने ग्यारह बच्चों में से किसी एक के नाम लिख दिया हो अमेरिका।”

“क्या ..?”

“मामला गंभीर है दोस्त।”

“आप कल आ जाइए। लैट मी सर्च माई बास्केट।” टैड ने वायदा किया था।

“बट डोंट वेक अप दि वर्ल्ड।” सर रॉजर्स ने चेतावनी दी थी। “यह एक परम गुप्त रहस्य है, टैड। तनिक सी भी असावधानी हमें ले बैठेगी। बात हम दोनों के बीच ही रहे।”

“डोंट वरी सर। आप जानते तो हैं। अगर ये कोई ब्लडी जालिम है तो हम भी ..” टैड ने सीघा रॉजर्स की आंखों में देखा था। “लड़े हैं हम तो सर साथ-साथ।” वह प्रसन्न था। “लड़ने के सिवा हमें और आता भी क्या है?” वह जोरों से हंस पड़ा था।

दोनों मित्र खूब हंसे थे मिल कर।

कहीं वियतनाम से भी आगे एक जंग फिर जुड़ गई थी। निराली थी ये जंग। कोई शोर गुल न था। न हवाई जहाज थे, न पानी के जहाज और न टैंक और तोपें थीं। लड़ाई खयालों की थी, बातों की थी और विचारों की थी। कौन किसका तख्ता कब पलट दे आहट तक नहीं आती थी। टैड एक बारगी सचेत हो गया था।

“तो क्या अमेरिका में भी तख्ता पलट हो कता था?” अचानक ही एक प्रश्न टैड के सामने आ खड़ा हुआ था।

इस प्रश्न का उत्तर भी था – वाई नॉट।

टैड और सर रॉजर्स की दूसरी मुलाकात परम एकांत में हुई थी।

“सर! आपने बिलकुल ठीक फरमाया था कि ये जालिम सांप है। ये जमीन के नीचे-नीचे चुपचाप हम सब के बीच की जमीन निगल रहा है। हर देश में हर प्रदेश में इसकी पहुंच है। ये अमेरिका के खिलाफ जहर उगल रहा है। दुनिया के सभी देशों में पहुंच चुका है। जहां हम अमेरिका महान का गुणगान कर रहे हैं ये उससे भी ज्यादा अमेरिका की बदनामी कर रहा है। इसका कहना है कि अमेरिका चोर है, सबका हक खा रहा है और सबको गुलाम बना कर रक्खा है।” टैड अपनी प्राप्त जानकारी बताता रहा था। “हमारे डॉलर और हमारे पूंजीवाद को निशाने पर लेकर ..”

“यही तो खतरे की बात है टैड।” सर रॉजर्स ने हामी भरी थी।

दोनों अनुभवी और बला के लड़ाकों की नजरें मिली थीं। टैड बेहद प्रसन्न था कि जालिम सर रॉजर्स जैसे अनुभवी के निशाने पर आ गया था।

“मेरे लिए क्या हुकुम है सर?” टैड ने अपने पत्ते खोले थे। “अमेरिका से आपको क्या मदद चाहिए?” वह पूछ रहा था।

“ये जंग एक अलग प्रकार की जंग होगी टैड।” सर रॉजर्स संभल कर बोले थे। “ये लड़ाई हमें दुनिया भर के लोगों के दिमाग में बैठ कर लड़नी होगी।”

“ये जालिम मरेगा कैसे सर?”

“इसे मारना नहीं है टैड। यह कोई बिन लादेन या सद्दाम हुसैन नहीं है। यह तो एक विचार बन गया है।”

“कैसा विचार?”

“ये कि जालिम कहता है कि – ए बॉडरलैस वर्ल्ड आज की जरूरत है। ग्लोबल सिटिजनशिप हम सब मानव समाजों की मांग है। फिर अकेला अमेरिका ही क्यों सरपंच बने? हक तो हम सब का है।”

“तो फिर ..?” टैड सनाका खा गया था। जालिम की विचारधारा गलत कहां थी? लेकिन फिर अमेरिका ..

“तो फिर हमें जालिम से दो कदम आगे चल कर जंग जोड़नी होगी टैड। हमें सिद्ध करना होगा कि अमेरिका ही आप सब का परम हितैषी है। जालिम झूठा है – मक्कार है। ये अपने ग्यारह बच्चों के बीच दुनिया को बांट कर सदियों तक चलाएगा अपना साम्राज्य। ये हिटलर से अलग नहीं है। ये कम्यूनिस्ट है। ये जल्लाद है। ये ..”

“शायद आप ठीक लाइन पर हैं सर। लेकिन इसमें हमें कामयाबी कैसे मिलेगी? हम तो अभी तक टैंकों और हवाई जहाजों से लड़ते आए हैं।”

“क्यों?” चौंके थे सर रॉजर्स। “विश्व युद्ध के बाद हमने क्या मानव के कल्याण का झंडा नहीं उठाया?” उनका प्रश्न था।

“अब लोग उसे मान कब रहे हैं।” तनिक हंसा था टैड। “हमारी समृद्धि पर सभी को शक हो गया है। समाज में असमानता तो अभी भी खड़ी है। हमें अब कुछ अलग से करना होगा, सर!”

सर रॉजर्स चुप थे। उन्हें भी लगा था कि टैड की राय गलत नहीं थी। आज हर कोई प्रबुद्ध था। आज हर आदमी के पास हर आदमी की खबर पहुंच रही थी। कहां क्या हो रहा था सभी को ज्ञात था। हर देश में सवेरा हो चुका था। लोग अब जागरूक हो चुके थे।

“बनाओ तुम कोई प्लान बनाओ!” सर रॉजर्स चहके थे। “मैं भी तो यही चाहता हूँ कि हम सब मिल कर इस जालिम जैसी मुसीबत का समाधान खोजें। वी आर ऐट स्टेक! मूव नाओ।” सर रॉजर्स ने अपना अनुमान कह सुनाया था।

“मैंने एक मीटिंग बुलाई है सर।” टैड बताने लगा था। “मुझे तो कल रात नींद नहीं आई – सच कहता हूँ! वी विल टेक जालिम सीरियसली नाओ।” टैड ने वायदा किया था। “मैं आपके ये प्रश्न उन सब के सामने रक्खूंगा जो महत्वपूर्ण लोग हैं। देखता हूँ अगर कुछ वर्थवाइल सामने आता है तो ..”

“गुड! मुझे उम्मीद है टैड कि तुम ..”

“आप भी तो अमेरिका भक्ति में बेजोड़ हैं, सर।”

“मैं तो ये सब सोफी के लिए कर रहा हूँ, यार!” सर रॉजर्स मुसकुराए थे। “वो मुझसे भी बड़ी अमेरिका भक्त है।”

टैड चुप था। सहसा उसे अहसास हुआ था कि उसका न तो कोई बेटा था और न कोई बेटी थी। वह तो व्यर्थ में ही अपनी उम्र गंवा बैठा था।

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

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