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रजिया भाग 30

रज़िया, Razia

“मिशन विध्वंस की आज मैं घोषणा करता हूँ।” सर रॉजर्स बोल रहे हैं।

स्काई लार्क के ऑफिस में बैठे सभी लोग सर रॉजर्स की घोषणा को उत्सुकता पूर्वक सुनते हैं। सभी अपने-अपने हिस्से की जिम्मेदारियां संभालने के लिए बेचैन हैं। सब शांत हैं। सब सचेत हैं। सब के सब मिशन विध्वंस का जायजा ले लेना चाहते हैं।

लेकन सोफी अशांत है – बहुत अशांत। मिशन विध्वंस की भनक तो उसे आज ही लगी है। वह तो यहां थी ही नहीं। फिर ये सब हुआ कैसे?

लैरी आया है। वह एक फाइल ला कर सर रॉजर्स के सामने रख देता है। सोफी मान लेती है कि वह फाइल मिशन विध्वंस की ही फाइल है। शायद वह फाइल ..

“मिशन विध्वंस का उद्देश्य है कि तलाश के साथ-साथ ही टारगेट का काम तमाम कर दिया जाए।” सर रॉजर्स कह रहे हैं। “ऑपरेशन विध्वंस की तैयारी भी टारगेट के अनुसार होगी। तय है कि टारगेट इतना चंचल और चालाक है कि भनक लगने पर कुछ का कुछ पल छिन में हो सकता है। खबर है कि कुछ ऐसा भी घट सकता है कि ..”

“तो घटे!” सोफी तुनक कर स्वयं से कहती है। “मुझे क्या?” उसने दो टूक घोषणा की है।

सोफी ने अभी तक राहुल को मुड़ कर भी नहीं देखा है। वह पूरे कार्य कलाप से ही असंपृक्त है। वह नाराज है। उसका मन खिन्न है।

“मिशन विध्वंस की जिम्मेदारी माने कि उसका नेतृत्व ..” सर रॉजर्स की आवाज चटकी है।

“मेरी तो नहीं है।” सोफी साफ-साफ कहती है। “मैं यहां हूँ ही कब?”

“राहुल ..” सर रॉजर्स का स्वर फिर से गूंजा है।

इस बार सोफी सचेत हो कर बैठ गई है। उसने जो भी सुना है वह उसी को दोहराती है। “राहुल मीन्स वॉट?” वह स्वयं से पूछती है।

“द हैल विद यू!” सोफी ने राहुल को चुपके से घूरा है तो कहा है। “यू कैन गो टू हैल मिस्टर राहुल!” उसने अबकी बार राहुल को गरिया दिया है।

“और स्वयं मिस सोफी रॉजर्स की है।” सर रॉजर्स ने बात समाप्त की है।

एक करंट जैसा ही कुछ सोफी के शरीर को छू गया है। कुछ है जो रह-रह कर उसके तन-मन पर गाज की तरह गिरा है। कुछ है जो उसे एक साथ अनुप्राणित कर गया है। वह जाग सी जाती है। उसका दिमाग सचेत हो जाता है। वह संभल कर अपने आस पास को देखती है।

अब की बार फिर उसने चोरी आंख से राहुल को घूरा है। राहुल मंद-मंद मुसकुरा रहा है। सोफी तनिक लजा जाती है।

“राहुल! प्लीज इंट्रोड्यूस सोफी टू दि रैस्ट ऑफ द टीम।” सर रॉजर्स के अगले आदेश आते हैं। “एंड लैरी यू प्लीज हैंड ओवर द फाइल टू हर।” वह लैरी को फाइल थमा देते हैं। “एंड सोफी!” उनकी दृष्टि अब सोफी की ओर घूमती है। “लैट्स हैव ए क्लीन गेम।” वह मांग सामने रखते हैं। “बहुत ही शातिर है तुम्हारा टारगेट।” वह चेतावनी देना नहीं भूलते। “ये देश पर ही नहीं सारी दुनिया पर भारी है। मानव जाति के लिए संकट ही कहो इसे। निरा नराधम है। एक ऐसी संस्कृति को रोप रहा है यह जो राक्षसों से भी बहुत आगे की है। मनुष्य जाति को बंदर बना कर रखने का इरादा है इसका।” सर रॉजर्स अब चुप हैं। किसी सोच में डूबे हैं।

“मैं इसका क्या बनाऊंगी आप देखते रहिए।” सोफी मूक व्यंजना में उत्तर देती है। “विध्वंस माने टोटल तबाही। खत्म ही कर दूंगी इसे।”

लेकिन नहीं! सोफी मुड़ कर सोचती है कि उसने तो जालिम को जिंदा पकड़ने का संकल्प लिया था। वह तो चाहती है कि वह जालिम से मिले, उससे दो बातें भी करे, उससे खुले में दंगल करे और फिर उसे परास्त करे, पकड़े और फिर पूछे – कहो बच्चू! मांगोगे प्राणों की भीख? बहुत बनते थे न!”

“फाइल!” लैरी ने उसे फाइल थमा दी है। “मुबारक हो मिशन विध्वंस!” लैरी हंस कर बोला है। “विश यू ऑल द लक!” वह आहिस्ता से कहता है।

“थैंक्स!” सोफी ने प्रसन्नता पूर्वक कहा है। न जाने क्यों वह लैरी की बहुत इज्जत करती है। वह एक बेहद इमानदार आदमी है – माने कि काम के प्रति ईमानदार है लैरी!

सर रॉजर्स उठ जाते हैं। एक सहजता आ जाती है। एक साथ सब आजाद जैसे हुए लगे हैं। सब ने एक दूसरे को अँखिया कर देखा है। एक नई पुरानी पहचान का सिलसिला शुरू होता है। जासूसी के व्यापार में लोगों के चेहरे हर रोज ही बदल जाया करते हैं – यह सब जानते हैं।

“आओ! मिशन के लोगों से परिचय करें।” राहुल का आग्रह है।

“लुच्चे ..!” सोफी ने प्रसन्नता से मन में कहा है। “देख लूंगी तुझे भी!” उसने राहुल को चुनौती दी है। “बहुत बड़ा जासूस बनता है, क्यों?” उसने घुड़का है राहुल को। “बहुत भोला लग रहा है – जैसे कुछ जानता ही नहीं।”

“ये हैं मूडी!” राहुल ने परिचय कराने का क्रम आरंभ कर दिया है।

“मैं तो इसे नहीं जानती!” सोफी व्यंग करती है। “इसे भरती किसने किया?” वह प्रश्न पूछती है। “ये तो निरा गधा है।”

“तुम्हारा गधा!” मूडी बोला है। “योर ओन एंड परमानेंट!” मूडी हंस रहा है। “बिना इस गधे के मिशन कैसे पूरा होगा?” उसने एक सत्य को सामने रख दिया है।

“और ये हैं फरजंद, ये अरमान और ये रहे ऐलान! हमारे मिशन की तीन बहुत महत्वपूर्ण कड़ियां हैं। हमारे हर सवाल का जवाब ये हैं। इन्हें हमने शरण दी है। ये विद्रोह करके आए हैं। ये मानवता के पक्षधर हैं।”

“बतासो और कालिया की तरह?” सोफी बीच में बोली है।

“हां। बिलकुल ठीक समझीं।” राहुल सोफी की बात की पुष्टि करता है। “इनको हर ठिकाने का पता है। इनके साथ मिलकर मिशन का मसौदा तैयार होगा। बाकी सब फाइल में दर्ज है।” राहुल अपना दायित्व निभा देता है।

सोफी मुड़ कर राहुल को आंखों में घूरती है। राहुल की आंखों में एक शरारत नाचती लगी है। वह एक प्रसन्नता से लबालब भरा है। सोफी समझती है इस प्रसन्नता का कारण।

“पूछताछ तो अब तुमसे करनी है मिस्टर!” सोफी ने मन में कहा है। “कॉल देम लेटर।” उसने राहुल को प्रत्यक्ष में आदेश दिए हैं। “क्यों न पहले फाइल पढ़ ली जाए?” सोफी अपना इरादा व्यक्त करती है।

“यही मुनासिब रहेगा!” राहुल मान जाता है।

चार घंटों तक राहुल और सोफी फाइल में उलझे रहते हैं। फाइल में जुटाई कुछ जानकारियां तो उनके रोंगटे खड़े कर देती हैं। कुछ ऐसे तथ्य भी सामने आए हैं जो मानव इतिहास में कहीं भी दर्ज नहीं हैं। और कुछ ऐसे प्रसंग भी हैं जो भयानक हैं, भोंड़े हैं, शर्मनाक हैं। फाइल स्वयं ही बोलने लगती है। जल्दी से जल्दी अगर कारगर कदम न उठे तो विध्वंस हुआ ही मानो। संपूर्ण मानव जाति ..

“बंदर बन जाएगी?” सोफी प्रश्न पूछती है।

“हां! लगता है कि बात गलत नहीं है।” राहुल स्वीकारता है। “इट नीड्स इमीडिएट एक्शन!” वह बात का तोड़ कर देता है।

मिशन की फाइल बंद होती है तो उनके अपने हाव भावों और प्रेम विरागों की फाइल खुल जाती है। दोनों एक दूसरे को फिर से अजनबियों की तरह देखते हैं। सोफी को वास्तव में ही राहुल एक नया नवेला जासूस लगता है। उसका वह गाइड वाला चेहरा नकली नकाब पहन गायब हो जाता है। आज वह असली राहुल के साथ है। आज उसे राहुल बहुत वजनी लगता है। लगता है राहुल ..

“सरप्राइज्ड?” राहुल ने प्रश्न दागा है। वह हंसा है। उसकी बात का तात्पर्य सोफी ने समझा है।

जैसे राहुल कह रहा है – कैसा लगा तुम्हें, तुम्हारा उल्लू खींचना? जासूस बनती हो और ..? उत्तर में सोफी ने अपना पर्स टटोला है। एक अदद छोटा सा फोटो उसने पर्स से निकाला है। फोटो पर एक तीखी नजर डाल कर वह उसे राहुल को थमा देती है। यही शायद राहुल के प्रश्न का करारा उत्तर है।

फोटो में नन्हा राहुल नंगा है और रेत के टीले पर सूसू कर रहा है और टकटकी बांध कर गिरती सूसू की धार को देख रहा है। सोफी राहुल को फोटो पकड़ा देती है। राहुल फोटो को देख कर उछल सा पड़ता है।

“ओह हैल! ओह नो!” राहुल कहता रहता है।

“सरप्राइज्ड?” सोफी हौले से राहुल को पूछ लेती है।

सोफी को शिकस्त ही तो अच्छी नहीं लगती।

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

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