लखनऊ ट्यूरिस्ट होटल के तिमंजिले की छत पर टहलते राम चरन ने निगाहें भर-भर कर शहर की अनुपम छटा को बड़े प्यार से देखा था।
और तभी न जाने कैसे उसे देश के बंटवारे का बजता बिगुल सुनाई दिया था। हिन्दू मुसलमान साथ-साथ नहीं रह सकते यह तथ्य हवा पर उजागर हो चुका था। अंग्रेजी हुकूमत ने भी मुसलमानों की फरियाद सुन कर देश के टुकड़े कर डाले थे। और लखनऊ के नवाबों की फौज अब पाकिस्तान के लिए उठ कर चल पड़ी थी। उनका बसा बसाया प्रेम नगर एक उजाड़ बियाबान में बदल गया था। नई नवेली गंगा जमुना तहजीब ने गोमती में डूब कर जान दे दी थी। नवाबी घरानों के नाज नखरे और अलन चलन इस बंटवारे की भेंट चढ़ गए थे। पाकिस्तान में जाकर तो उन्हें सड़कों पर सोना पड़ा था।
“फोन की घंटी बज उठी थी। बार-बार फोन बज रहा था। सुंदरी जैसे उसका पीछा कर रही थी, उसे आज पहली बार एहसास हुआ था।
“हैलो डार्लिंग!” अपने आप को संभालते हुए राम चरन बोला था।
“कहीं व्यस्त हो?” सुंदरी ने पूछा था।
“नहीं यार! यहां इस तिमंजिले से इस साले रोमांटिक शहर को देख रहा हूँ। तुम्हारी याद आ रही थी तो ..”
“क्यों झूठ बोलते हो चन्नी!”
“नहीं सुंदा! सच में मैं ..!” राम चरन तनिक सकपका गया था। “तुम बताओ! कोई घटना घटी है क्या?” राम चरन का चोर मन सफाई मांग रहा था।
“हां! घटना तो है ..!”
“क्या ..? क्या हुआ!”
“कांड हो गया!”
“किसने किया?”
“तुमने!” सुंदरी खिलखिला कर हंसी थी। वह हंसती ही रही थी।
राम चरन सकते में आ गया था। आज पहली बार उसने सुंदरी को इतना खुल कर हंसते सुना था। वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर सबब क्या था?
“म .. म .. मैं तो ..” राम चरन अटक गया था।
“बाप बनने वाले हो .. शायद इसलिए ..” सुंदरी ने धीमे स्वर में कहा था।
“क्या ..?” राम चरन चौंका था। “क्या कह रही हो सुंदा?” वह पूछ रहा था।
लेकिन फोन कट गया था।
“तुम बाप बनने वाले हो मुनीर!” इस बार आवाज सलमा शेख की आई थी। “छुट्टी ले कर आ जाओ। झट पट शादी कर लेते हैं।” उसका अनुरोध था।
बवंडर उठ खड़ा हुआ था। भूचाल आने को था। आसमान अब गिरा कि जब गिरा – ऐसा लग था। मुनीर के पसीने छूट गए थे।
“ओह शिट!” राम चरन ने अपने आप को कोसा था। “बार-बार वही दुखती रग टीसने लगती है!” वह कारण समझ नहीं पा रहा था।
“तुम्हारे ये लियाकत मियां तो बहुत बोदे लगते हैं मुनीर!” अब कोई और भी बोल पड़ा था। “ये किसी हाल में भी जिहादी नहीं हो सकते।”
“हो सकते हैं! अगर मैं जिहादी बन सकता हूँ तो लियाकत मियां भी बन जाएंगे!” राम चरन ने वायदा किया था। “एक बार इन्हें इस्लाम का चश्मा पहनने तो दो। मैं कहता हूँ गजब ढाएगा ये आदमी! मीठा ठग है, लोगों का चहेता है और हिन्दू मुसलमान दोनों का है। इसी तरह के हीरो चाहिए हमें जनाब! इस बार चौड़े में जंग नहीं जुड़ेगी। जंग का रंग लाल नहीं नीला होगा हुजूर!” राम चरन बताता रहा था। “इस बार सद्भावना के पीछे से वार होगा।” वह धीमे से मुसकुराया था। “क्यों कि लियाकत मियां लखनऊ शहर में हिन्दू मुस्लिम सद्भावना के लिए सरनाम हैं!”
मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड