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राम चरन भाग छियासी

Ram charan

मुनीर खान जलाल का फोन कई बार बजा था लेकिन उसने काट दिया था।

चेन्नई में अजान मंजिल में भूरे खान के साथ गुप्त वास में बैठा मुनीर बेहद संगीन प्रसंगों से गुजर रहा था।

“तुम्हारा सलैक्शन बड़े सोच विचार के बाद हुआ है, भूरे खान!” मुनीर खान जलाल भूरे खान को अकेले में समझा रहा था। “इस्लाम की मशाल तुमने चेन्नई से जलानी है।” वो बता रहा था। “तुम पहले आदमी होगे जिसने इस्लाम को सलाम कर साउथ से जिहाद का शुभ आरंभ करना है।”

“पन करना क्या है?” भूरे खान ने प्रश्न पूछा था। “मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा है जनाब!” उसने साफ-साफ कहा था।

“यू विल लीड दी मुसल्ला फौज!”

“पन कौन सी मुसल्ला फौज?” भूरे खान तनिक उबाल खा गया था। “न सूत है न पौनी!” वह बड़बड़ाया था। “मेरे साथ ये लठालठी क्यों हो रही है जनाब?”

“मेरे भाई सूत भी है, पौनी भी है और पैसा भी है!” मुनीर खान जलाल हंस गया था। “यू विल गैट 5 मिलियन दिस टाइम!” मुनीर ने उसे सूचना दी थी। “लेकिन हथियार अभी नहीं आएंगे। पर तैयारी अभी से होगी।”

पैसे की खुशबू आते ही भूरे खान का मिजाज अब राहे रास्ते पर था।

“मुसल्ला फौज को अपने आस पास ही खड़ा महसूसो भूरे खान। अल्लाह के बंदे होंगे वो परिंदे जो इस्लाम का परचम ले कर सड़कों पर उतर आएंगे। उनके पास सब होगा – हथियार, गोला बारूद और छुरी किरपान! लेकिन ..”

“लेकिन ..?” भूरे खान अब उत्साहित था। “और कत्लेआम ..?”

“नहीं! काम कत्लेआम से नहीं इस्लाम के ईमान से लेना है। हमें इस्लाम की दुनिया को बसाना है इस बार!”

फोन की घंटी फिर बज उठी थी। मुनीर का मन हुआ था कि एक बार देख तो ले कि ये कौन था और माजरा क्या था।

“शिब्बू अपने डैडी से गुड मॉर्निंग कहना चाहता है।” सुंदरी की आवाज आई थी। “ही हैज अराइव्ड!” सुंदरी ने पुत्र जन्म की शुभ सूचना मधुर शब्दों में दी थी।

मुनीर खान जलाल सकते में आ गया था। उसका गला रुंध गया था। वह तो इस्लाम का परचम लहराने में मशगूल था और अब बेटे शिव चरन का यों आगमन ..? मुनीर खान जलाल का चोला छोड़ राम चरन हो जाना और फिर शिव चरन का स्वागत करना ..

“गुड मॉर्निंग!” आवाज को साध कर कठिनाई से कह पाया था राम चरन। “तुम तो ठीक हो?” उसने सुंदरी से पूछा था।

“क्या कोई बात है?” सुंदरी की आवाज में चिंता झलक आई थी। “तुम .. आई मीन .. तुम तो ..?”

“हां-हां! अरे नहीं-नहीं! मैं बिलकुल ठीक हूँ।” राम चरन आज पहली बार घबरा गया था। “बेटा कैसा है?” उसने पूछ ही लिया था।

“बाप की ट्रू कॉपी है!” सुंदरी खिलखिला कर हंसी थी। “देखोगे तो दंग रह जाओगे चन्नी!”

“आता हूँ! थोड़ा सा काम और है सुंदा! माफ करना डार्लिंग ..”

“टेक योर ओन टाइम!” कह कर सुंदरी ने फोन काट दिया था।

भूरे खान कमरे के बाहर खड़ा-खड़ा मुनीर खान जलाल के बुलावे के इंतजार में सूखता रहा था।

“कल बात करेंगे भूरे!” मुनीर खान जलाल ने उसे अंदर बुला कर अगला आदेश दिया था। “आबू धाबी से अकरम शाम को पहुंच रहा है।” उसने भूरे खान को बताया था। “उसे रिसीव कर लेना भाई।”

दो जहानों का मालिक मुनीर खान जलाल दो नामों से दो सल्तनतों को संबोधित करता आज की दुनिया का नया अवतार था।

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

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